मजदूर के बेटे का 12वीं में कमाल, इन वजहों से पिता नहीं बोल पा रहे आशीर्वाद के दो शब्द

मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के 12वीं के नतीजे में हरदा जिले में रहने वाले राहुल ने गणित संकाय में राज्यभर मे 10वां स्थान हासिल किया है. उसकी इस सफलता पर पूरा गांव, नाते-रिश्तेदार बधाई दे रहे हैं और जश्न मनाने में लगे हैं, लेकिन राहुल मायूस दिखा. राहुल के पिता ओमप्रकाश मूक-बधिर हैं. उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके बेटे ने 12वीं की परीक्षा में अच्छे अंक लाकर उनका नाम रोशन किया है.

मजदूर के बेटे का 12वीं में कमाल, इन वजहों से पिता नहीं बोल पा रहे आशीर्वाद के दो शब्द

मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के 12वीं के नतीजे में हरदा जिले के राहुल ने गणित संकाय में 10वां स्थान हासिल किया है.

खास बातें

  • एमपी बोर्ड के 12वीं के गणित संकाय में राहुल को 10वां स्थान मिला है
  • राहुल के पिता मजदूर हैं, साथ ही वे मूक-बधिर भी हैं
  • बेटे की सफलता के बारे में पिता को कुछ मालूम ही नहीं है
नई दिल्ली:

साल 1996 में आई फिल्म 'खामोशी' देखते हुए ज्यादातर लोगों की आंखों में आंसू आ गए होंगे. इस फिल्म में एक लड़की गायिका का रोल निभा रही होती है और उसके मां-पिता मूक-बधिर होते हैं. लड़की चाहती है कि उसके मां-पिता उसके गाए गाने पर कुछ कहें, लेकिन वह मजबूर होती है. कुछ ऐसी ही कहानी शुक्रवार को मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के 12वीं के नतीजे आने पर एक परिवार में देखने को मिला. हरदा जिले में रहने वाले राहुल ने गणित संकाय में राज्यभर मे 10वां स्थान हासिल किया है. उसकी इस सफलता पर पूरा गांव, नाते-रिश्तेदार बधाई दे रहे हैं और जश्न मनाने में लगे हैं, लेकिन राहुल मायूस दिखा. दरअसल, राहुल इस खुशी के पल में अपने पिता के मुंह से आशीर्वाद के दो शब्द सुनना चाह रहे हैं, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती. राहुल के पिता ओमप्रकाश मूक-बधिर हैं. उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके बेटे ने 12वीं की परीक्षा में अच्छे अंक लाकर उनका नाम रोशन किया है.

पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया, पर पता ही नहीं बेटा टॉपर बन गया

हरदा जिले की सिराली तहसील के छोटे से गांव नहालीक्ला में रहने वाले राहुल के पिता ओमप्रकाश मजदूर हैं. वे मजदूरी से कमाए पैसे से ही परिवार का पेट पालने के साथ राहुल की पढ़ाई का खर्च उठाते हैं. जरा सोचिए एक मजदूर के लिए ये सारी जिम्मेदारियां उठाना कितनी मुश्किल होगी. इससे भी ज्यादा भावुक करने वाली बात यह है कि पिता सामने खड़े हैं और उन्हें मालूम ही नहीं है कि उनके बेटे ने परीक्षा में अच्छे अंक लाए हैं. वे न बेटे को आर्शीवाद दे पा रहे हैं और न ही उसकी खुशी में शरीक हो पा रहे हैं. आर्थिक मजबूरियों के बीच राहुल ने जैसे-तैसे यहां तक की पढ़ाई पूरी की है.

पिता ने पैसे दिए और मामा ने दिखाया रास्ता

राहुल की पढ़ाई के लिए मूक-बधिर पिता ने मजदूरी कर जैसे-तैसे पैसे जुटाए. एक वक्त था जब पैसे की तंगी के चलते राहुल के पढ़ाई छोड़ने की नौबत आ गई थी. ऐसे में मामा ने उसकी काफी मदद की. राहुल को एडमिशन कराने, किताबें खरीदने से लेकर परीक्षा दिलाने की सारी जिम्मेदारी उसके मामा ने उठाया है. राहुल की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर स्कूल प्रबंधन ने उसकी फीस भी माफ कर दी थी. अब मेधावी राहुल सिविल इंजीनियर बनकर अपने मूक-बधिर पिता के बुढ़ापे का सहारा बनना चाहता है. वहीं मामा ने कहा कि वे राहुल को हर मोड़ पर साथ देंगे. गांव वाले भी राहुल को काफी लाड करते हैं. वे कहते हैं कि यह लड़का पढ़ाई में अच्छा होने के साथ काफी विनम्र है.

मालूम हो कि गणित विषय में  12वीं के छात्र राहुल ने 475 अंक लाकर गणित समूह में प्रदेश मेरिट लिस्ट में 10 स्थान पाया है. मध्‍यप्रदेश में 12वीं क्‍लास की परीक्षाएं 3 मार्च 2017 से शुरू होकर 31 मार्च तक आयोजित की गई थीं. वर्ष 2016 में हायर सेकेंडरी यानि 12वीं की परीक्षा में 7 लाख 66 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इस वर्ष लगभग 7 लाख 12 हजार छात्र हायर सेकेंडरी की परीक्षा में सम्मलित हुए.
 


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