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इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के जुलाई संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शराब पीने का प्रचलन 39.4 फीसदी है. कॉलेज की 40.6 फीसदी छात्राएं शराब पीती हैं जबकि 38 फीसदी छात्रों को शराब पीने की लत है. शराब पीने वालों 82.3 फीसदी हल्के अल्कोहल वाली शराब पीने के आदी हैं जबकि 17.7 फीसदी ज्यादा अल्कोहल वाली शराब पीना पसंद करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों की तुलना में छात्राओं में शराब पीने का प्रचलन ज्यादा है. हालांकि ज्यादातर छात्राएं कम अल्कोहल वाली शराब पीना पसंद करती हैं. कम अल्कोहल वाली शराब पीने वाली लड़कियों की तादाद कॉलेज में 86.5 फीसदी पायी गई.
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शराब पीने वाले मेडिकल कॉलेज के 20 फीसदी स्टूडेंट पणजी के आसपास रहते हैं. अध्ययन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा विकसित उपकरण अल्कोहल प्रयोग विकास पहचान परीक्षण (एयूडीआईटी) का इस्तेमाल किया गया. इस उपकरण का इस्तेमाल अल्कोहल का उपभोग, पीने के व्यवहार और अल्कोहल से संबंधित समस्याओं का आकलन किया जाता है.
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अध्ययन में 350 स्टूडेंट का साक्षात्कार किया गया. तरकीबन 50 फीसदी स्टूडेंट गोवा मेडिकल कॉलेज में दाखिल लिए हुए थे और ईसाई समुदाय के स्टूडेंट में शराब पीने की लत अधिक पाई गई, खासतौर से ऐसे स्टूडेंट शराब पीने के आसक्त पाए गए जो शहरी क्षेत्र से आते थे या छात्रावास में रहते थे. इसी साल फरवरी में गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने विद्यार्थियों से संवाद के दौरान लड़कियों के बीयर पीने पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा, "मुझे अब डर होने लगा है क्योंकि लड़कियां बीयर पीने लगी है. इसलिए सहनशक्ति की सीमा पार कर गई है.. सभी नहीं. मैं भीड़ की बात नहीं करता हूं."
(इनपुट-आईएएनएस)
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