नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि काफी सम्पन्न परिवारों की उच्च शिक्षित लड़कियां उच्च जीवनशैली की आकांक्षा में देह व्यापार का रुख कर रही हैं। शीर्ष अदालत ने सरकार से यौनकर्मियों से संबंधित पुनर्वास कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने को कहा।
उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘हम पाते हैं कि सम्पन्न परिवारों की शिक्षित लड़कियां उच्च जीवनशैली की आकांक्षा और प्रतिदिन मॉल जाने की चाहत में इस पेशे का रुख कर रही हैं। अगर वह स्वेच्छा से देह व्यापार में शामिल हो रही हैं तब आपके पास इनके लिए क्या है।’
न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने वकील प्रदीप घोष से यह सवाल किया। घोष को पूर्व में एक अन्य वकील जयंत भूषण के साथ उस विशेष पैनल में नियुक्त किया गया था जिसे देश के यौनकर्मियों के पुनर्वास एवं अन्य मामलों को देखने का दायित्व सौंपा गया था।
शीर्ष अदालत ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा से तीन सप्ताह में यह सुनिश्चित करने को कहा कि विधि आयोग कार्यालय में इस कार्य से जुड़ी समिति के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान किया जाए।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि इस संबंध में पुनर्वास कार्य की केंद्र और राज्य की ओर से नियमित रूप से निगरानी की जाए।
पीठ ने कहा, ‘इस विषय पर नियमित तौर पर सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं लेकिन मामला यहीं समाप्त हो जाता है। किसी तरह का ठोस उपाय सामने नहीं आता। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कुछ किया जाना चाहिए।’
उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘हम पाते हैं कि सम्पन्न परिवारों की शिक्षित लड़कियां उच्च जीवनशैली की आकांक्षा और प्रतिदिन मॉल जाने की चाहत में इस पेशे का रुख कर रही हैं। अगर वह स्वेच्छा से देह व्यापार में शामिल हो रही हैं तब आपके पास इनके लिए क्या है।’
न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने वकील प्रदीप घोष से यह सवाल किया। घोष को पूर्व में एक अन्य वकील जयंत भूषण के साथ उस विशेष पैनल में नियुक्त किया गया था जिसे देश के यौनकर्मियों के पुनर्वास एवं अन्य मामलों को देखने का दायित्व सौंपा गया था।
शीर्ष अदालत ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा से तीन सप्ताह में यह सुनिश्चित करने को कहा कि विधि आयोग कार्यालय में इस कार्य से जुड़ी समिति के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान किया जाए।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि इस संबंध में पुनर्वास कार्य की केंद्र और राज्य की ओर से नियमित रूप से निगरानी की जाए।
पीठ ने कहा, ‘इस विषय पर नियमित तौर पर सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं लेकिन मामला यहीं समाप्त हो जाता है। किसी तरह का ठोस उपाय सामने नहीं आता। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कुछ किया जाना चाहिए।’
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