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This Article is From Mar 19, 2015

विदेशी पर्यटकों ने समझा राजस्थान के इस स्कूल का दर्द, बदली तस्वीर

जयपुर:

देश में जो हर तीसरा विदेशी पर्यटक आता है, वह राजस्थान की सैर ज़रूर करता है। ज़्यादातर पर्यटक यहां के ऐतिहासिक किले, महल और पांच सितारा होटलों में घूमकर रह जाते हैं, लेकिन फ्रांस के एक पर्यटक दल ने कुछ अलग कर डाला। गांव के एक उच्च प्राथमिक स्कूल की जर्जर हालत को देखते हुए उन्होंने विद्यालय की मूलभूत सुविधाओं के लिए स्कूल की मरमत करवा दी।

दूर-दराज़ से आए इन खास मेहमानों को देखकर बच्चे काफी खुश नज़र आए। उन्होंने उनके साथ गीत गाए और डांस किया। बीबी वॉयेज ट्रेवल एजेंसी की वेरनोईके ने बताया, "जब मैं पहली बार यहां आई तो बरसात का मौसम था, बच्चे इस टूटे हुए छत के नीचे भोजन कर रहे थे और पानी में भीग रहे थे। फिर मुझे पता चला कि हमारे साथ भारत की सैर करने वाला एक दल है, जो समाज के लिए भी कुछ करना चाहता  है।"

वेरनोईके ने फ़्रांसिसी पर्यटक दल के सामने प्रस्ताव रखा और इस स्कूल के लिए 5 लाख रुपये इक्कठा हुए। स्कूल में मरम्मत का काम स्थानीय लोगों की मदद से हुआ। आवारा पशुओं को बाहर रखने के लिए स्कूल की दीवार ऊंची कर दी गई। बरामदे पर एक टीन की छत डाली गई और शौचालय तैयार किया गया।

स्कूल में ये सब काम कराने में मदद करने वाली गीतांजलि ने बताया कि बच्चों के लिए अब प्रार्थना सभा करने या खेलने के लिए मंच भी हैं और पानी की टंकी भी बन गई है। रकम बहुत बड़ी नहीं थी, लेकिन ईमानदारी से खर्च किये गए इस पैसे से स्कूल में बदलाव साफ़ देखने को मिल रहा है। एक छात्र सद्दाम ने बताया, "यहां पानी की टंकी बन गई है, फर्श हो गई है, पुताई हुई है, हम खुश हैं।"

प्रियंका और संतरा दोनों इस स्कूल में पढ़ती हैं। उनका कहना है कि हमारा सौभाग्य है कि ये लोग यहां आए। उन्होंने कहा, "पहले हमारा स्कूल बहुत गंदा था अब साफ-सफाई हो गई है। टॉयलेट बन जाने से खासकर लड़कियों के लिए बहुत सुविधा हो गई है।"

फ़्रांसीसी दल की क्लेयर ने कहा कि वह बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देख कर खुश थीं, उसके लिए बस इतना ही काफी था। आसमान छूने की चाहत रखने वाले इन नन्हे हाथों को अगर जरूरत है, तो बस थोड़ी से सहारे की और संयोग से यहां हाथ बढ़ाने वाले मिल गए।

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