जयपुर:
गुलाबी नगरी जयपुर में भी देश के बाकी शहरों की ही तरह सैकड़ों-हज़ारों भिखारी रहते हैं, लेकिन उनमें से एक दिनेश द्विवेदी की कहानी बेहद हृदयद्रावक है, जो संस्कृत में दो बार पीएचडी कर चुके हैं, अध्यापक रह चुके हैं, पेंशन के रूप में 35,000 रुपये माहवार पाते हैं, उनकी अपनी हवेली भी है, और वह जयपुर के बाज़ार में दुकानों के भी मालिक हैं, लेकिन भीख मांगने के लिए मजबूर हैं...
दरअसल, 50-वर्षीय दिनेश द्विवेदी अपने ही इकलौते बेटे 25-वर्षीय सौरभ द्वारा की जाने वाली मारपीट से दुखी हैं... अविवाहित सौरभ ने पढ़ाई-लिखाई स्कूल के दिनों में ही छोड़ दी थी, और बताया जाता है कि वह ड्रग-एडिक्ट भी है... दिनेश द्विवेदी का कहना है, "मैं उससे (सौरभ से) हाथ जोड़कर बार-बार विनती करता हूं कि मुझे न पीटे, लेकिन वह बार-बार मुझे डंडे और पत्थरों से मारता है..."
दिनेश द्विवेदी, जो अपने ही घर के पास अपने ही पड़ोसियों और अपने ही घर में किराये पर रहने वालों तक से भीख मांगने के लिए मजबूर हैं, की तीन संतानें हैं, जिनमें बड़ी बेटी का विवाह हो चुका है, और दूसरा सौरभ है... तीसरी संतान भी लड़की है, जो अपने पिता और भाई के साथ ही रहती है, लेकिन वह भी सौरभ की मारपीट का शिकार है...
उधर, अपने पिता की हवेली की सीढ़ियों पर बैठकर सौरभ ने इस सारे मामले में कहा, "मैं मां के पेट से ड्रग-एडिक्ट पैदा नहीं हुआ था... मुझे दरअसल, उन लोगों ने धोखे से ड्रग-एडिक्ट बनाया, जो मेरी और मेरे पिता की जायदाद पर कब्जा करना चाहते हैं..."
लेकिन इसके विपरीत, पड़ोसियों का कहना है कि सौरभ अपने पिता और छोटी बहन को बेरहमी से मारता-पीटता है, और जो घर की जो चीज़ भी उसके हाथ लग जाती है, वह उसे अपनी ड्रग्स की ज़रूरतें पूरी करने के लिए बेच डालता है...
मीडिया में दिनेश द्विवेदी की करुणगाथा दिखाए जाने के बाद स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने भी उनकी सुध ली, और दोपहर को पुराने जयपुर शहर के ब्रह्मपुरी इलाके में स्थित उनके घर पहुंचे। उसके बाद वे सौरभ के साथ उन्हें तलाशने निकले, और दो ही गली दूर दिनेश द्विवेदी भीख मांगते हुए मिल गए... दिनेश द्विवेदी सड़क पर ठीक से रेंग भी नहीं पा रहे थे, इसलिए उन्हें वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनाए गए सरकारी वृद्धाश्रम में भेज दिया गया है...
दरअसल, 50-वर्षीय दिनेश द्विवेदी अपने ही इकलौते बेटे 25-वर्षीय सौरभ द्वारा की जाने वाली मारपीट से दुखी हैं... अविवाहित सौरभ ने पढ़ाई-लिखाई स्कूल के दिनों में ही छोड़ दी थी, और बताया जाता है कि वह ड्रग-एडिक्ट भी है... दिनेश द्विवेदी का कहना है, "मैं उससे (सौरभ से) हाथ जोड़कर बार-बार विनती करता हूं कि मुझे न पीटे, लेकिन वह बार-बार मुझे डंडे और पत्थरों से मारता है..."
दिनेश द्विवेदी, जो अपने ही घर के पास अपने ही पड़ोसियों और अपने ही घर में किराये पर रहने वालों तक से भीख मांगने के लिए मजबूर हैं, की तीन संतानें हैं, जिनमें बड़ी बेटी का विवाह हो चुका है, और दूसरा सौरभ है... तीसरी संतान भी लड़की है, जो अपने पिता और भाई के साथ ही रहती है, लेकिन वह भी सौरभ की मारपीट का शिकार है...
उधर, अपने पिता की हवेली की सीढ़ियों पर बैठकर सौरभ ने इस सारे मामले में कहा, "मैं मां के पेट से ड्रग-एडिक्ट पैदा नहीं हुआ था... मुझे दरअसल, उन लोगों ने धोखे से ड्रग-एडिक्ट बनाया, जो मेरी और मेरे पिता की जायदाद पर कब्जा करना चाहते हैं..."
लेकिन इसके विपरीत, पड़ोसियों का कहना है कि सौरभ अपने पिता और छोटी बहन को बेरहमी से मारता-पीटता है, और जो घर की जो चीज़ भी उसके हाथ लग जाती है, वह उसे अपनी ड्रग्स की ज़रूरतें पूरी करने के लिए बेच डालता है...
मीडिया में दिनेश द्विवेदी की करुणगाथा दिखाए जाने के बाद स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने भी उनकी सुध ली, और दोपहर को पुराने जयपुर शहर के ब्रह्मपुरी इलाके में स्थित उनके घर पहुंचे। उसके बाद वे सौरभ के साथ उन्हें तलाशने निकले, और दो ही गली दूर दिनेश द्विवेदी भीख मांगते हुए मिल गए... दिनेश द्विवेदी सड़क पर ठीक से रेंग भी नहीं पा रहे थे, इसलिए उन्हें वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनाए गए सरकारी वृद्धाश्रम में भेज दिया गया है...
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