इस्लामाबाद:
अमेरिकी सुरक्षा अधिकारी रेमंड डेविस की रिहाई पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के बीच गुप्त समझौते के कारण हुई। समझा जाता है कि दोनों एजेंसियों में समझौता एक सप्ताह पहले ही हो गया था, जिसे अब अमल में लाया गया। एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। बुधवार को लाहौर की एक अदालत ने डेविड द्वारा 'दियत' या हर्जाना अदा करने के बाद उसको रिहा कर दिया था। इसके बाद अमेरिकी वायुसेना के एक विमान ने 12 लोगों के साथ लाहौर हवाई अड्डे से अफगानिस्तान के लिए उड़ान भरी, जिसमें डेविस के होने की बात भी कही जा रही है। पाकिस्तानी समाचार पत्र 'डॉन' के मुताबिक डेविस की रिहाई के बाद आक्रोशित जनता ने केंद्र तथा पंजाब प्रांत की सरकार और सेना तथा खुफिया एजेंसी पर देशहित से समझौता करने का आरोप लगाया है। फिलहाल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय से इस पर कोई टिप्पणी नहीं मिली है। पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत कैमरन मंटर के 10 मार्च को जारी बयान से इस बात की पुष्टि होती है कि डेविस की रिहाई को लेकर समझौता एक सप्ताह पहले ही हो गया, लेकिन इसे अमल में अब लाया गया। समाचार पत्र के अनुसार डेविस की रिहाई के लिए दोनों पक्षों की ओर से बड़े पैमाने पर लेनदेन हुआ, खासकर उनकी सुरक्षा एजेंसियों के बीच। डेविस की रिहाई से एक दिन पहले समाचार पत्र ने यह खबर भी प्रकाशित की थी कि आईएसआई तथा सीआईए समझौते के करीब पहुंच रहे हैं और उन्होंने अपने मतभेदों को दूर कर लिया है। समझौता वार्ता की शुरुआत पिछले महीने ओमान में पाकिस्तानी सेना प्रमुख अशफाक परवेज कियानी तथा अमेरिकी सेना के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत से हुई थी। डेविस को लाहौर में दो मोटरसाइकिल सवारों की हत्या के आरोप में 27 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। अमेरिका उसे अपना कूटनीतिक अधिकारी बताते हुए तभी से उसकी रिहाई के लिए प्रयासरत था।
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