New Delhi:
देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने कहा है कि वह गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दे के साथ है, लेकिन एक शिक्षण संस्थान के रूप में उनके आंदोलन का समर्थन नहीं कर सकती। दारुल उलूम के कुलपति मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा, अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दा बिल्कुल वाजिब है। हम इस मुद्दे के साथ हैं। इसके बावजूद एक शिक्षण संस्थान होने के नाते हम उनके आंदोलन अथवा अनशन की हिमायत नहीं कर सकते। हजारे के आंदोलन का खुलकर समर्थन नहीं करने की वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, देखिए, दारुल उलूम एक शिक्षण संस्थान है। हम सियासी मसलों में शामिल नहीं हो सकते। कोई यह कहे कि हम किसी आंदोलन के समर्थन में सड़क पर उतरेंगे तो ऐसा नहीं हो सकता। शिक्षण संस्था होने की वजह से हम अन्ना के आंदोलन की हिमायत नहीं कर सकते। जन लोकपाल की मांग को लेकर हजारे बीते 16 अगस्त से अनशन कर रहे हैं। फिलहाल दिल्ली के रामलीला मैदान में उनका अनशन चल रहा है। हजारे और उनकी टीम की मांग है कि सरकार उनकी ओर से तैयार किए गए जन लोकपाल विधेयक के मसौदे को स्वीकार करे। दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों के गुस्से को जायज बताते हुए कहा, अन्ना हजारे ने वह मुद्दा उठाया है, जिससे पूरा देश परेशान है। यही वजह है कि आवाम सड़कों पर उतर रही है। उन्होंने कहा, अब सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए। देश की आवाम भी यही मांग कर रही है। सरकार को लोगों की मांग पर गौर करना चाहिए। ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रमुख शाइस्ता अंबर ने कहा, जिस दिन अन्ना हजारे को हिरासत में लिया गया, उसी दिन से हमारा संगठन इस लड़ाई में अन्ना के साथ खड़ा हो गया। हम भ्रष्टाचार के विरोध और जन लोकपाल के पक्ष में कई कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं। हम आगे भी भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून की मांग करते रहेंगे। जन लोकपाल के बारे में देवबंद के कुलपति नोमानी ने कहा, जन लोकपाल विधेयक को देखे बिना मेरी ओर से इस पर कुछ कहना सही नहीं होगा। हम इतना कहना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कानून बनना चाहिए। मुफ्ती नोमानी ने कहा, देश की आवाम भ्रष्टाचार से तंग आ गई है। हर कोई परेशान है। शायद यही वजह है कि लोग इसके खिलाफ अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं।
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