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This Article is From Mar 22, 2016

वृंदावन और वाराणसी में विधवाओं ने पहली बार मंदिर में खेली होली

वृंदावन और वाराणसी में विधवाओं ने पहली बार मंदिर में खेली होली
सांकेतिक तस्वीर
वृंदावन: दशकों पुरानी परंपराओं को तिलांजलि देते हुए वृंदावन में सोमवार को एक प्राचीन मंदिर में सैकड़ों विधवाओं ने होली खेली। इन विधवाओं ने भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में शंखनाद किया और सूखे फूलों और रंगों से होली खेली।

वृंदावन की विधवाओं के साथ वाराणसी की विधवाओं ने भी होली खेली। उन्होंने एक-दूसरे को रंग लगाए। इस दौरान उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। यह पहला मौका था, जब उन्हें वृंदावन में किसी मंदिर के अंदर होली खेलने का मौका मिला।

अपने परिवारों द्वारा त्याग दी गईं इन विधवाओं की इस होली में बड़ी संख्या में संस्कृत के विद्यार्थी व विद्वान भी शामिल हुए। जाने-माने समाज सुधारक और 'सुलभ इंटरनेशनल' के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक भी होली के इस जश्न में शामिल हुए। बिंदेश्वर देश में विधवा विरोधी मान्यताओं के विरोध में अभियान चलाने के लिए जाने जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा विधवाओं की स्थिति के बारे में 2012 की गई टिप्पणियों को देखते हुए सुलभ इंटरनेशनल वाराणसी व वृंदावन में 1,500 विधवाओं की देखरेख कर रहा है।

बिंदेश्वर पाठक ने बताया, 'सुलभ ने उन्हें (विधवाओं) समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश करते हुए करीब तीन साल पहले उनके लिए विधवा आश्रम में होली का आयोजन करना शुरू किया। लेकिन, इस बार यह एक खास होली थी, क्योंकि यह एक सामाजिक स्वीकृति देने के लिए एक लोकप्रिय मंदिर में आयोजित की गई थी।'

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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