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This Article is From Apr 15, 2024

200 करोड़ की संपत्ति दान देकर पत्‍नी संग संन्‍यासी बना गुजरात का ये बिजनेसमैन, पढ़ें क्‍यों लिया ये फैसला

Donated Rs 200 Crore Become Monk: गुजरात के एक कारोबारी ने करोड़ों की संपत्ति और सुख सुविधा से जुड़ी माया को छोड़कर भिक्षु बनने का फैसला किया है.

200 करोड़ की संपत्ति दान देकर पत्‍नी संग संन्‍यासी बना गुजरात का ये बिजनेसमैन, पढ़ें क्‍यों लिया ये फैसला
गुजरात का अरबपति बना संन्यासी, 200 करोड़ की संपत्ति की दान.

Who is Bhavesh Bhai Bhandari: मोह-माया को त्यागने से जुड़ी कई कहानियां और किस्से तो आपने खूब सुने होंगे, लेकिन ऐसा रियल में होते बहुत कम ही देखा होगा. आज हम आपको एक ऐसे ही अरबपति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने जीवन से जुड़ी ऐसी कहानियों को सच में तब्दील कर दिया है. दरअसल, गुजरात के एक कारोबारी ने करोड़ों की संपत्ति और सुख सुविधा से जुड़ी माया को छोड़कर भिक्षु बनने का फैसला किया है. यही वजह है कि, सोशल मीडिया पर इन दिनों ये छाए हुए हैं और हर कोई इनकी ही बातें कर रहा है. 

बच्‍चे पहले ही बन चुके हैं संन्‍यासी

व्यापारी का ये फैसला सुनकर हर कोई बस यही जानना चाहता है कि, जिन सुख-सुविधाओं के लिए इंसान दिन-रात मेहनत करता है, आखिर उस सुख और चैन की जिंदगी को छोड़कर ये व्यापारी भिक्षु क्यों बनना चाहता है. गुजरात के भावेश भाई भंडारी इन दिनों इंटरनेट पर हलचल पैदा कर दी है. बता दें कि, भावेश भाई भंडारी ने पत्‍नी संग संन्‍यास लेने का फैसला किया है. जानकर हैरानी होगी लेकिन संन्‍यास लेने के लिए परिवार ने 200 करोड़ रुपये की संपत्ति दान कर दी है. बता दें कि, व्‍यवसायी भावेश भाई भंडारी का कंस्‍ट्रक्‍शन बिजनेस था. आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन भावेश भाई के बच्‍चे पहले ही संन्यास ले चुके हैं

जैन धर्म में दीक्षा लेने का फैसला

इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल गुजरात के हिम्मतनगर के रहने वाले अरबपति कारोबारी भावेश भाई भंडारी की कहानी लोगों को प्रेरणादायक बनी हुई है. खबरों में दावा किया जा रहा है कि, भावेश भंडारी और उनकी पत्नी ने जैन धर्म में दीक्षा लेने का फैसला लिया है. जैन धर्म में दीक्षा लेने का अर्थ संन्यास लेना यानी भौतिक संसार से दूर हो जाना है. बता दें कि, साल 2022 में उनके 16 साल के बेटे और 19 साल की बेटी ने संन्‍यास ले लिया था. अपने बच्चों की पसंद से प्रेरित होकर भावेश भाई और उनकी पत्नी ने भी ऐसा ही करने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि, 22 अप्रैल को वो हिम्मतनगर रिवरफ्रंट पर औपचारिक रूप से त्याग का जीवन जीने के लिए आगे बढ़ जाएंगे.

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