मुंबई:
सपनों को उड़ान भरने के लिए किसी आसमान की जरूरत नहीं होती। इसे सही साबित कर दिखाया प्रेमा जयकुमार ने। प्रेमा ने न केवल तीन सौ वर्ग फुट की चाल के छोटे से कमरे में सपने देखे बल्कि अपनी मेहनत से उन सपनों में रंग भी भर दिए।
आज सभी की जुबान पर उपनगर मलाड में एसबी खान चाल में रहने वाले ऑटोरिक्शा चालक की बेटी प्रेमा का नाम है जिसने ऑल इंडिया चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए) परीक्षा न केवल पास की है बल्कि शीर्ष स्थान हासिल किया है।
प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया द्वारा नवंबर 2012 में कराई गई परीक्षा में 24 वर्षीय प्रेमा अपनी इस सफलता पर बेहद खुश है। इस परीक्षा का परिणाम सोमवार को घोषित किया गया।
देश में सर्वाधिक कड़ी परीक्षा समझे जाने वाले इम्तिहान में शीर्ष स्थान पाने के बाद प्रतिक्रिया पूछे जाने पर प्रेमा ने कहा, ‘यह मेरी जीवनभर की उपलब्धि है। मेरे लिए मेहनत ही सफलता की कुंजी है।’ स्वभाव से विनम्र प्रेमा चार्टर्ड एकाउंटेंसी कंपनी किशोर सेठ एंड कंपनी में अपनी इंटर्नशिप के दौरान छह हजार रूपये प्रतिमाह कमा रही थी। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता जयकुमार पेरूमल तथा मां लिंगाम्मल को देती है।
खाकी वर्दी पहने अपने पिता जयकुमार की मुस्कुराहट के बीच प्रेमा ने कहा, ‘उनके समर्थन और आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं होता। मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। अब मैं चाहती हूं कि मेरे माता-पिता आराम की जिंदगी जीएं जिन्होंने मेरे लिए इतना कुछ किया।’
आज सभी की जुबान पर उपनगर मलाड में एसबी खान चाल में रहने वाले ऑटोरिक्शा चालक की बेटी प्रेमा का नाम है जिसने ऑल इंडिया चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए) परीक्षा न केवल पास की है बल्कि शीर्ष स्थान हासिल किया है।
प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया द्वारा नवंबर 2012 में कराई गई परीक्षा में 24 वर्षीय प्रेमा अपनी इस सफलता पर बेहद खुश है। इस परीक्षा का परिणाम सोमवार को घोषित किया गया।
देश में सर्वाधिक कड़ी परीक्षा समझे जाने वाले इम्तिहान में शीर्ष स्थान पाने के बाद प्रतिक्रिया पूछे जाने पर प्रेमा ने कहा, ‘यह मेरी जीवनभर की उपलब्धि है। मेरे लिए मेहनत ही सफलता की कुंजी है।’ स्वभाव से विनम्र प्रेमा चार्टर्ड एकाउंटेंसी कंपनी किशोर सेठ एंड कंपनी में अपनी इंटर्नशिप के दौरान छह हजार रूपये प्रतिमाह कमा रही थी। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता जयकुमार पेरूमल तथा मां लिंगाम्मल को देती है।
खाकी वर्दी पहने अपने पिता जयकुमार की मुस्कुराहट के बीच प्रेमा ने कहा, ‘उनके समर्थन और आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं होता। मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। अब मैं चाहती हूं कि मेरे माता-पिता आराम की जिंदगी जीएं जिन्होंने मेरे लिए इतना कुछ किया।’
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