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This Article is From Apr 02, 2020

आनंद महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों के लिए लिखा Letter, बोले- 'लॉकडाउन में भविष्य के लिए आप सभी...'

महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने कोरोना वायरस (CoronaVirus) को अब तक की सबसे भयावह आपदाओं में एक बताते हुए बृहस्पतिवार को सभी कर्मचारियों से कहा कि वे लॉकडाउन (बंद) में निजी व पेशेवर तौर पर खुद को भविष्य के लिये तैयार करें.

आनंद महिंद्रा ने अपने कर्मचारियों के लिए लिखा Letter, बोले- 'लॉकडाउन में भविष्य के लिए आप सभी...'
आनंद महिंद्रा ने लिखा कर्मचारियों को पत्र, लॉकडाउन में खुद को भविष्य के लिये तैयार करें

महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने कोरोना वायरस (CoronaVirus) को अब तक की सबसे भयावह आपदाओं में एक बताते हुए बृहस्पतिवार को सभी कर्मचारियों से कहा कि वे लॉकडाउन (बंद) में निजी व पेशेवर तौर पर खुद को भविष्य के लिये तैयार करें. उन्होंने समूह के दो लाख से अधिक कर्मचारियों को एक पत्र के माध्यम से कहा कि यह ऐसी आपदा है, जो पहले कभी नहीं देखी गयी. 

उन्होंने पत्र में पिछली आर्थिक मंदी के दौरान दिये गये अपने सुझाव को भी दोहराया. उन्होंने पिछली मंदी के दौरान कर्मचारियों को बताया था कि संकट के समय को किस तरह से खुद को नये सिरे से तैयार करने में इस्तेमाल किया जा सकता है.

उन्होंने अभी उपलब्ध समय को नये विचारों और नवोन्मेष में निवेश करने का सुझाव दिया. उन्होंने भविष्य के लिये बड़े सपने तैयार करने तथा संकट के समाप्त हो जाने के बाद महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाने में संकट के मौजूदा समय का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया.

महिंद्रा ने कहा कि यह कामकाज के लिहाज से सामान्य समय नहीं है. उन्होंने कहा, ''हम ऐसे संकट से जूझ रहे हैं जो पहले कभी नहीं आया. हम सभी अपने परिजनों, अपने कारोबार, अपनी अर्थव्यवस्था और अपने देश के प्रति चिंतित हैं. इसके बाद भी हम सभी वह कर रहे हैं, जो किया जा सकता है और संकट से दवाब में आये बिना इसके साथ जीना सीख रहे हैं.''

महिंद्रा ने कहा कि इन परिस्थितियों ने हमें एक ऐसी मोहलत दी है, जिसका इस्तेमाल अच्छे के लिये किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ''घर में बंद होने से हमें यह मालूम हुआ है कि हम किस तरह से पर्यावरण पर अनावश्यक बोझ डाल रहे थे. मैंने मुंबई को कभी इतना खूबसूरत नहीं देखा, जैसा अभी बंद के दौरान दिख रहा है...आसमान नीला है, हवा साफ है, सड़कों पर गंदगी नहीं है.''

उन्होंने कहा, ''क्या हमें यह सब सीखने के लिये इस तरह के संकट की जरूरत है? क्या संकट के निपट जाने के बाद भी हम इस तरह से नहीं रह सकते हैं? क्या हम पर्यावरण का बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं? क्या हम कम यात्रा कर कार्बन उत्सर्जन कम नहीं कर सकते हैं? क्या हम बेहतर तरीके से काम करने तथा काम और जीवन का संतुलन बनाने के लिये दूर से ही बैठक व संवाद करने के तरीके पर अमल नहीं कर सकते हैं? सबसे महत्वपूर्ण, क्या हम जीवन जीने के व्यक्तिगत और पेशेवर रवैये को नये सिरे से तैयार नहीं कर सकते हैं?''

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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