मद्रास उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका में खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि 'अम्मा' मिनरल वाटर और कैंटीन कार्यक्रम राज्य सरकार की योजनाएं हैं और इनका तात्पर्य मुख्यमंत्री जयललिता से जुड़ा नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता 'ट्रैफिक' रामास्वामी की जनहित याचिका में खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर करने वाले वराकी ने कहा है कि तमिल में 'अम्मा' का मतलब मां अथवा ईश्वर या किसी महिला अथवा यहां तक कि बच्चे को आदर से पुकारना है। इसे इस तरह नहीं देखना चाहिए कि मुख्यमंत्री जयललिता के बाद सरकारी योजनाओं को यह नाम दिया गया।
यह उल्लेख करते हुए कि मुख्यमंत्री ने जयललिता के तौर पर शपथ ली है, 'अम्मा' के तौर पर नहीं, उन्होंने कहा कि यह गलत और लोगों को गुमराह करना है कि सार्वजनिक कोषों का इस्तेमाल मुख्यमंत्री की निजी छवि को चमकाने के लिए इस्तेमाल हुआ। उन्होंने कहा है कि ये योजनाएं कमजोर तबके के लोगों की दशा सुधारने के लिए है। पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर 461 योजनाएं बन चुकी है।
रामास्वामी ने पिछले महीने याचिका दायर कर बस स्टैंड, बसों और अन्य जगहों पर जयललिता की तस्वीर और अन्नाद्रमुक पार्टी के प्रतीक चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी।
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