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This Article is From Sep 20, 2018

एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर, कहा - 'ना जॉब है और ना घर, कैसे पालूं बेटी?'

एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं. उनके पास ना तो जॉब है और ना ही अपनी बेटी को पालने के लिए पैसे.

एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर, कहा - 'ना जॉब है और ना घर, कैसे पालूं बेटी?'
एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल आर्थिक तंगी से गुज़र रही हैं
नई दिल्ली: आपको एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल तो याद ही होगी? यह वही लक्ष्मी है जिन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा से साल 2014 में International Women of Courage Award मिला था. इसके साथ ही लक्ष्मी ने साल 2016 में लंदन फैशन वीक में हिस्सा लिया, कई टीवी और वेब शोज़ भी किए. इसी वजह इन्हें इंडिया की एकलौती पॉपुलर एसिड सर्वाइवर कहना गलत नहीं होगा. लेकिन अब यही लक्ष्मी अग्रवाल दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं. उनके पास ना तो जॉब है और ना ही अपनी बेटी को पालने के लिए पैसे. दिल्ली के लक्ष्मी नगर में किराए पर दो बेडरूम घर है, जिसका किराया भी अब उनके बूते से बाहर हो गया है. 

जी हां. यह लक्ष्मी अग्रवाल ही हैं जो कुछ दिनों पहले तक टीवी पर छाईं रहती थीं. लेकिन अब हालत यह है कि अब वो नौकरी की तलाश में घूम रही हैं. जिसके साथ वो लिव-इन में रहीं अब उन्होंने भी लक्ष्मी और उनकी बेटी का खर्च उठाने पर हाथ खड़े कर दिए हैं. लक्ष्मी के पार्टनर आलोक दीक्षित का कहना है कि वो अब लक्ष्मी और बेटी पीहू को पैसों की कोई भी मदद नही कर सकते. 

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30 साल की लक्ष्मी का कहना है कि अब उन्हें काम की जरुरत है ताकि वो अपनी बेटी को पाल सकें. उनका कहना है कि 4 साल पहले ही मेरी लाइफ बिल्कुल परफेक्ट लग रही थी. मैंने Stop Acid Attack Campaign के फाउंडर Alok Dixit के साथ लिव-इन में रहने का फैसला किया. हमें एक बेटी भी हुई. लेकिन बेटी होने के बाद हम दोनों अलग हो गए और मैंने बेटी की जिम्मेदारी ली. एक एनजीओ में मैंने 10 हज़ार रुपए महीने की सैलरी पर काम भी किया. लेकिन साल 2017 में वो भी छोड़नी पड़ी. 

वहीं, आलोक दीक्षित का कहना है कि मेरे पास पैसे नहीं है. मेरे अकाउंट में 5 हज़ार रुपए भी नहीं है. ना ही कोई रेगुलर जॉब है. कार्यकर्ता इसी तरह जीते हैं और मेरे पास जितने भी पैसे थे वो मेरी एनजीओ की तरफ से एसिड पीड़िताओं के लिए खर्च हो गए.   

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बता दें, आलोक दीक्षित के आगरा और लखनऊ में Sheroes नाम के दो कैफे भी हैं.

साल 2005 में एक पीछा कर रहे आदमी ने लक्ष्मी पर एसिड से हमला कर दिया था. जिससे उनका पूरा चेहरा जल गया. लक्ष्मी सिर्फ 10वीं पास हैं और ब्यूटी पार्लर का काम उन्हें आता है. लेकिन उनके चेहरे की वजह से उन्हें काम नहीं मिलता. लक्ष्मी का काम कहना है कि इंडिया में करीब 500 एसिड विक्टिम हैं, जिन्हें लोगों की दया तो मिल जाती है लेकिन पैसे नहीं. मुझे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बतौर क्षतिपूर्ति 3 लाख रुपए मिले थे, जो मेरी सर्जरी और प्रेग्नेंसी में खर्च हो गए. अब मुझे जॉब चाहिए ताकि मैं अपनी बेटी की परवरिश अच्छे से कर सकूं.

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बेटी पीहू के साथ खेलती लक्ष्मी अग्रवाल
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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