विज्ञापन
This Article is From Dec 16, 2022

2500 साल पुरानी संस्कृत व्याकरण की गलती को एक भारतीय ने सुलझाया, Cambridge का है छात्र

जानकारी के मुताबिक, संस्कृत विद्वान पाणिनि के ग्रंथों से उपजी व्याकरण संबंधी समस्या का हल ऋषि ने किया है. उन्होंने शोध में तर्क दिया है कि शब्द चुनने के लिए पाणिनि ने पाठकों को चुनने को कहा है. इस खोज की चर्चा हर जगह हो रही है. Cambridge University ने ऋषि के इस कमाल के बारे में ट्वीट करके जानकारी दी है.

2500 साल पुरानी संस्कृत व्याकरण की गलती को एक भारतीय ने सुलझाया, Cambridge का है छात्र

संस्कृत एक ऐसा भाषा है, जिसे बहुत ही पुराना माना जाता है. भारत में संस्कृत को देव भाषा कहा जाता है. कहा जाता है कि संस्कृत भाषा से ही भारतीय भाषाओं का उदय हुआ है. संस्कृत का प्रयोग आज भी होता है. पूजा-पाठ के लिए संस्कृत भाषा का प्रयोग होता है. खैर, आज जो जानकारी हम बताने वाले हैं, वो ज़रा अलग है. दरअसल, 2500 साल से संस्कृत व्याकरण में एक गुत्थी चली आ रही थी. इस गुत्थी को एक भारतीय छात्र ने सुलझा दिया है. इस छात्र का नाम ऋषि अतुल राजपोपट है. ये कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हैं. ये पूरे देश के लिए गर्व की बात है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंकडइन पर एक जानकारी साझा की गई.

जानकारी देखें

जानकारी के मुताबिक, संस्कृत विद्वान पाणिनि के ग्रंथों से उपजी व्याकरण संबंधी समस्या का हल ऋषि ने किया है. उन्होंने शोध में तर्क दिया है कि शब्द चुनने के लिए पाणिनि ने पाठकों को चुनने को कहा है. इस खोज की चर्चा हर जगह हो रही है. Cambridge University ने ऋषि के इस कमाल के बारे में ट्वीट करके जानकारी दी है.

भाषा के क्षेत्र में पूरी दुनिया में पाणिनि की प्रतिभा अतुलनीय हैं. भारतीयों के लिए राहत की बात इतनी ही है कि एक भारतीय ने ही यह गुत्थी सुलझायी है. गुत्थी यह थी कि पाणिनि व्याकरण के अनुसार जब संस्कृत में दो शब्दों को मिलाकर कोई नया शब्द बनाया जाता है तो दोनों शब्दों पर दो अलग-अलग नियम लागू हो सकते हैं और दोनों नियमों से दो अलग-अलग शब्द बनेंगे. समस्या यह थी कि जब दो नियम लागू हो रहे हैं तो नया शब्द बनाने के लिए कौन सा नियम सही होगा? पुराने विद्वान मानकर चलते थे कि जो नियम क्रम के अनुसार बाद में आएगा उसे ही लागू करना चाहिए. इस तरह अनगिनत शब्दों की व्युत्पत्ति सटीक नहीं होती थी तो विद्वान उसे अपवाद मान लेते थे.

ऋषि ने बताया है कि जब वो किताबों पर माथा फोड़कर समाधान न पा सके तो उन्होंने दो-तीन महीने किताबों से तौबा कर ली. घूमे-फिरे, खेले-कूदे और जब लौटे तो कागज कलम हाथ में लेते ही उनके सामने समाधान था. करीब डेढ़-दो साल तक उन्होंने उस समाधान की पुष्टि की. उनका समाधान भी सरल है. पाणिनि ने अष्टध्यायी में ही समाधान दिया है लेकिन विद्वान उस श्लोक का सही गलत अर्थ निकाल रहे थे. विद्वानों का बहुमत मानता था कि पाणिनि ने बाद वाला नियम चुनने के लिए कहा ह.। ऋषि के अनुसार पाणिनि ने बाद वाला नहीं बल्कि नए शब्द में बाद में आने वाले शब्द के अनुसार नियम चुनने को कहा है.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने इसका उदाहरण दिया है. ज्ञानमं दियते गुरुणा (गुरु ज्ञान देते हैं।) में गुरुना का निर्माण गुरु और आ से हुआ है. ऋषि के अनुसार नए शब्द के निर्माण के लिए हमें बाद वाले शब्द के अनुसार सन्धि के नियमों का प्रयोग करना चाहिए. ऋषि द्वारा प्रस्तुत समाधान के बाद सभी शब्दों की व्युत्पत्ति सटीक होने लगी. अपवाद से भी लगभग छुटकारा मिल गया.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com