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19 मिनट वाले वीडियो के बाद अब क्यों वायरल हो रहा '40 मिनट' का ये VIDEO?

सोशल मीडिया से लेकर गूगल सर्च तक लोग इसे खोज रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि ऐसा कोई एक पुख्ता या प्रमाणित वीडियो मौजूद ही नहीं है. यह ट्रेंड असल में जिज्ञासा, अफवाह और क्लिकबेट का खतरनाक मिश्रण बन चुका है.

19 मिनट वाले वीडियो के बाद अब क्यों वायरल हो रहा '40 मिनट' का ये VIDEO?
क्यों वायरल हो रहा '40 मिनट' का ये VIDEO

19 मिनट का वायरल वीडियो... विवाद के बाद अब इंटरनेट पर एक नया कीवर्ड तेजी से ट्रेंड कर रहा है - जो है, 40 मिनट का वायरल वीडियो. सोशल मीडिया से लेकर गूगल सर्च तक लोग इसे खोज रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि ऐसा कोई एक पुख्ता या प्रमाणित वीडियो मौजूद ही नहीं है. यह ट्रेंड असल में जिज्ञासा, अफवाह और क्लिकबेट का खतरनाक मिश्रण बन चुका है.

कैसे शुरू हुआ ‘40 मिनट' का हंगामा?

इस ट्रेंड की जड़ें हाल ही में वायरल हुए '19 मिनट के वायरल वीडियो' विवाद से जुड़ी मानी जा रही हैं. उस मामले में एक कथित लीक प्राइवेट क्लिप को लेकर सोशल मीडिया पर भारी हंगामा हुआ था, जिसमें sweet_zannat नाम की एक इंफ्लुएंसर को गलत तरीके से जोड़ा गया. जब 19 मिनट वाला कीवर्ड ज्यादा फ्लैग होने लगा, तब साइबर ठगों और क्लिकबेट पेजों ने उसके जैसे नए शब्द गढ़ने शुरु किए. इसी कड़ी में '40 मिनट का वायरल वीडियो' सामने आया, जिसे 'फुल लीक वीडियो' जैसे दावों के साथ फैलाया गया.

‘डिजिटल घोस्ट' कैसे बना यह ट्रेंड?

असल में यह कोई एक वीडियो नहीं, बल्कि एक 'डिजिटल घोस्ट' है. लोग इसलिए सर्च कर रहे हैं क्योंकि वे दूसरों को इसके बारे में बात करते देख रहे हैं. किसी को नहीं पता कि वीडियो में क्या है, किसका है या कहां है- लेकिन फिर भी लोग क्लिक कर रहे हैं. यही वजह है कि यह ट्रेंड तेजी से फैल रहा है.

किन राज्यों में सबसे ज्यादा सर्च?

गूगल ट्रेंड्स के अनुसार,'40 मिनट का वायरल वीडियो' सर्च करने वालों की संख्या इन राज्यों में ज्यादा देखी गई है: आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, दिल्ली, पश्चिम बंगाल. इससे पता चलता है कि भ्रम कितने बड़े स्तर पर फैल चुका है.

क्यों है यह ट्रेंड खतरनाक?

साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऐसे कीवर्ड्स ऑनलाइन ठगी के लिए सबसे आसान हथियार होते हैं. इन लिंक्स पर क्लिक करने से यूजर फिशिंग वेबसाइट पर पहुंच सकता है. मोबाइल या लैपटॉप में मैलवेयर डाउनलोड हो सकता है. सोशल मीडिया या बैंकिंग डिटेल चोरी हो सकती है. विज्ञापनों से भरे फर्जी पेज पर फंस सकता है. क्योंकि कोई तय स्रोत नहीं होता, यूजर अंदाजा भी नहीं लगा पाता कि वह किस जाल में फंस रहा है.

पुलिस और साइबर सेल की चेतावनी

हरियाणा एनसीबी साइबर सेल के अधिकारी अमित यादव ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कंटेंट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया गया हो सकता है. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे वीडियो को देखना, सेव करना या शेयर करना भी अपराध की श्रेणी में आ सकता है.

अधिकारी के अनुसार, ऐसे कंटेंट से जुड़े मामलों में IPC Section 67, IPC Section 67A, IPC Section 66 के तहत कार्रवाई हो सकती है. इसमें 2 लाख रुपये तक का जुर्माना या 3 साल तक की जेल हो सकती है.

क्या सच में कोई 40 मिनट का वीडियो है?

असल में नहीं. यह कोई एक असली वीडियो नहीं, बल्कि कई फर्जी दावों, थंबनेल्स और अफवाहों का मिला-जुला रूप है.

क्या सीख मिलती है?

इससे हमें यह सीख मिलती है कि हर ट्रेंड सच नहीं होता, जिज्ञासा के नाम पर लिंक पर क्लिक करना खतरनाक हो सकता है और 'लीक वीडियो'जैसे शब्द अक्सर साइबर जाल होते हैं.

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