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This Article is From Oct 07, 2023

ताश के पत्तों से 15 वर्षीय अर्नव ने बनाया 'दुनिया का सबसे बड़ा प्लेइंग कार्ड स्ट्रक्चर',बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

अर्नव डागा ने कोलकाता की ऐतिहासिक इमारतों राइटर्स बिल्डिंग, शहीद मीनार, साल्ट लेक स्टेडियम और सेंट पॉल कैथेड्रल का स्ट्रक्चर ताश के पत्तों से बना दिया है. इन्हें बनाने के लिए उसे 41 दिन का समय लगा.

ताश के पत्तों से 15 वर्षीय अर्नव ने बनाया 'दुनिया का सबसे बड़ा प्लेइंग कार्ड स्ट्रक्चर',बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
ताश के पत्तों से बना दी ऐतिहासिक इमारतें, बना नया वर्ल्ड रिकॉर्ड

कोलकाता के एक 15 वर्षीय लड़के ने दुनिया का ‘सबसे बड़ा प्लेइंग कार्ड स्ट्रक्चर' बनाकर नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (GWR) कायम किया है. आधिकारिक साइट के अनुसार, 15 साल के अर्नव डागा ने कोलकाता की ऐतिहासिक इमारतों राइटर्स बिल्डिंग, शहीद मीनार, साल्ट लेक स्टेडियम और सेंट पॉल कैथेड्रल का स्ट्रक्चर ताश के पत्तों से बना दिया है. इन्हें बनाने के लिए उसे 41 दिन का समय लगा. अर्नव ने लगभग 143,000 ताश के पत्तों का इस्तेमाल किया और हैरत की बात कि उन्होंने कहीं भी टेप या गोंद का इस्तेमाल नहीं किया है. उनके तैयार प्रोजेक्ट की लंबाई 40 फीट, ऊंचाई 11 फीट 4 इंच और चौड़ाई 16 फीट 8 इंच है.

ब्लॉग GWR के मुताबिक, अर्णव ने ब्रायन बर्ग का पिछला विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिसके मकाओ के तीन होटलों की प्लेइंग कार्ड स्ट्रक्चर 34 फीट और 1 इंच लंबी, 9 फीट और 5 इंच लंबी और 11 फीट और 7 इंच चौड़ी थी. अपने प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए, अर्नव ने कहा कि कार्ड स्ट्रक्चर बनाने से पहले, उन्होंने उनकी वास्तुकला का अध्ययन करने और उनके आयामों पर बारीकी से काम करने के लिए सभी चार स्थलों का दौरा किया. फिर उन्होंने अपने खुद के ‘कार्ड-चिटेक्चर' के लिए उचित साइट ढूंढने के लिए लगभग 30 जगहों को देखा.

असफलताओं से रुके नहीं अर्नव

अर्नव ने कहा कि जब शहीद मीनार बनाते वक्त पत्ते लगातार गिरते रहे थे तो उसकी प्रोसेस धीमी हो गई. उन्होंने बहुत कुछ सुधार किया. अर्नव ने कहा कि यह निराशाजनक था कि काम के इतने घंटे और दिन बर्बाद हो गए और मुझे यह सब फिर से करना पड़ा, लेकिन मेरे लिए पीछे मुड़कर देखने का कोई रास्ता नहीं था.

कोरोना काल में शुरू की प्रैक्टिस

जीडब्ल्यूआर के अनुसार, अर्नव आठ साल की उम्र से कार्ड स्टैकिंग कर रहा है. उन्होंने 2020 में COVID-19 लॉकडाउन के दौरान इसे और अधिक गंभीरता से लेना शुरू कर दिया, क्योंकि उन्हें इसकी प्रैक्टिस के लिए बहुत खाली समय मिला. अपने कमरे में सीमित जगह होने के कारण, उन्होंने छोटी संरचनाएं बनाना शुरू किया, जिनमें से कुछ को उनके YouTube चैनल, arnavinnovates पर देखा जा सकता है.

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