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कुछ इस तरह मेहनत कर के ख़ुद की पढ़ाई और परिवार का ख़र्चा उठा रहा है 12 साल का Deepak

हमारे आसपास कुछ ऐसे वाकए भी होते हैं, जो हमें एक साथ ही गर्व और अफसोस दोनों से भर देते हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को देखकर ऐसा ही महसूस किया जा रहा है.

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इस होनहार के जज्बे को सलाम, ऐसी संभाल रखी है जिंदगी

तमाम तरह की नेगेटिविटी के मौजूदा दौर में भी उम्मीद से भरी कुछ खबरें हमारा सीना चौड़ा कर देती हैं, तो कुछ उदास और सोचने पर मजबूर कर देती है. हमारे आसपास कुछ ऐसे वाकए भी होते हैं, जो हमें एक साथ ही गर्व और अफसोस दोनों से भर देते हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को देखकर ऐसा ही महसूस किया जा रहा है.

बेहद सख़्त हालात में भी पढ़ाई करने की जिद और मजबूरी

हजारों गाड़ियों के फर्राटे से गुजरते एक फ्लाईओवर के नीचे वेइंग मशीन पर आते-जाते लोगों का वजन माप रहे 12 साल के एक बच्चे का वीडियो देखकर आप भी एक साथ ही प्राउड और सैड दोनों फील करेंगे. प्राउड इसलिए कि इस वेइंग मशीन से होने वाली आमदनी से दीपक नाम का बच्चा अपनी पढ़ाई और परिवार के खर्च में मदद करता है. वहीं, बेहद सख़्त हालात में भी किसी जिद की तरह पढ़ाई करने की उसकी मजबूरी आपको सैड फील करवा देगी.

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सफदरजंग के सरकारी स्कूल में चौथी क्लास का स्टूडेंट है दीपक

दरअसल, दिल्ली में सफदरजंग के पास सरकारी स्कूल आदर्श विद्यालय में चौथी क्लास में पढ़ने वाले दीपक के लिए यह रोजाना का संघर्ष है. लगभग साल भर से इसी काम के जरिए अपनी पढ़ाई और घरेलू खर्च के लिए कमाई कर रहे दीपक ने बताया कि, साल भर पहले उसकी मां नहीं रही. उसके बाद पिता राजवीर भी एक हादसे में झुलस गए. अब वह सरोजिनी नगर इलाके में दिन भर व्हील चेयर पर लोगों से मांगकर अपना गुजारा करते हैं.

पढ़-लिखकर फौज में जाना चाहता है दीपक

दीपक का परिवार यूपी के फर्रुखाबाद का रहने वाला है और कुछ साल पहले कमाने के लिए दिल्ली आया था. दीपक के दिव्यांग पिता लोगों से कुछ रुपए मांग कर अब अपने इलाज के लिए जुटा रहे हैं, ताकि वह फिर से कुछ काम कर सके. वहीं, परिवार के खर्च में मदद के लिए दीपक सड़क किनारे लोगों के वजन मापने का काम करता है. दीपक ने कहा कि, अगर सरकार ने मदद की, तो वह अच्छे से पढ़कर फौज में शामिल होना चाहता है.

दीपक के साथ ही काम करती और पढ़ती है छोटी मौसेरी बहन

दीपक के साथ उसकी एक मौसेरी बहन चांदनी भी रहती है. दीपक के स्कूल में ही पहली क्लास में पढ़ने वाली चांदनी भी सड़क पर काम में उसकी मदद करती है. चांदनी के पिता गुजर गए हैं और उसकी मां गांव में रहकर मजदूरी करती है. उसने पढ़ाई के लिए चांदनी को अपने मौसा जी के पास दिल्ली भेज दिया है. सड़क पर वजन मापने के काम के दौरान खाली समय में दोनों अपना होमवर्क भी करते हैं.

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