विज्ञापन
This Article is From Jul 20, 2015

'जीवित देवी' की जिंदगी कैसे बदल दी नेपाल के भूकंप ने

'जीवित देवी' की जिंदगी कैसे बदल दी नेपाल के भूकंप ने
सबसे लंबे समय तक 'कुमारी' रहने वाली धन कुमारी वज्राचार्य की फाइल फोटो
पाटन, नेपाल: अप्रैल 2015 में जब नेपाल भयावह भूकंप की चपेट में आया था, नेपाल की 'कुमारी' यानी 'जीवित देवी' को वो करना पड़ा जो शायद किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा, उन्‍हें जिंदगी में पहली बार गलियों में निकलना पड़ा। एएफपी को दिए इंटरव्‍यू में देवी ने खुद ये बात कही।

2 वर्ष की उम्र से ही एकांकी जीवन जी रहीं धन कुमारी वज्राचार्य ने अपने आसन पर बैठने के 30 साल लंबे समय के बारे में खुलकर बताया। उन्‍होंने बताया कि 1980 के दशक में उन्‍हें गद्दी से हटाए जाने की दर्दनाक याद अब भी ताजा है।

25 अप्रैल 2015 को आए 7.8 तीव्रता के भूकंप से पहले कुमारी वज्राचार्य केवल एक बार लोगों के सामने सजीधजी पालकी में आई थी।

इस हिमालयी देश में 'जीवित देवी' को 'कुमारी' के नाम से जाना जाता है। हिेंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ी साझा परंपराओं से बंधी 'जीवित देवी' को एकांकी जीवन जीना पड़ता है और वो लोगों से शायद ही कभी बात करती हैं।

भूकंप के बाद वज्राचार्य को मजबूरन काठमांडु के दक्षिण में स्थित ऐतिहासिक पाटन शहर के अपने घर से गलियों में निकलना पड़ा। ऐसा तीन दशक में पहली बार हुआ और पहली बार उन्‍हें अपने पैरों से चलकर घर से बाहर आना पड़ा।

उन्‍होंने बताया, 'मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे इस तरह घर छोड़ना पड़ेगा।' 8800 से ज्‍यादा लोगों की जान लेने वाली आपदा से वो अभी तक सदमे में हैं। 63 वर्षीय वज्राचार्य ने बताया कि शायद भगवान नाराज हैं क्‍योंकि लोग परंपराओं का अब सम्‍मान नहीं करते।

हालांकि काठमांडू की 'जीवित देवी' को अब एक सरकारी निवास में जाना होगा। यहां पाटन कुमारी को अपने परिवार के साथ रहने की अनुमति दी गई है, लेकिन वह केवल पर्व के दिनों में बाहर आ सकती हैं, जब शहर पूजा करने के लिए निकलेगा।

यह याद करते हुए जब पाटन की संकरी गलियों में भीड़ उनसे अर्शीवाद लेने के लिए लाइन में खड़ी रहती, सुश्री वज्राचार्या कहती हैं, वह त्‍यौहार के दिनों में बाहर आना बेहद पसंद करती हैं।

एक त्योहार के दौरान सुश्री वज्राचार्या को देखते हुए जब 13 वर्षीय राजकुमार ने कथित तौर पर पूछा था कि 'वह इतनी बूढ़ी क्‍यों हैं?' पूजारी उन्‍हें एक युवा लड़की से बदलने को उत्‍सुक हो गए। 30 साल बाद, उन्‍हें अचानक बर्खास्तगी की याद कचोटती है।

सेवानिवृति के लिए मजबूर किए जाने के बाद, सुश्री वज्राचार्या ने निर्णय लिया है कि वह उन्‍हीं जिम्‍मेदारियों के साथ अपनी जिंदगी जिएंगी।

परंपरा के अनुसार एक बार मासिक धर्म शुरू होने पर पाटन कुमारी को आसन से हटा दिया जाता है। चूंकि वज्राचार्य को कभी मासिक धर्म शुरू नहीं हुए थे इसलिए वो 30 से ज्‍यादा की उम्र में भी गद्दी पर बनी रहीं।

लेकिन 1984 में नेपाल के तत्कालीन युवराज दीपेंद्र, जिन्‍होंने 17 साल बाद अपने परिवार में नरसंहार किया, की एक बात से उठा विवाद 'पाटन कुमारी' को गद्दी से हटाने का कारण बना।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
कुमारी, जीवित देवी, धन कुमारी वज्राचार्य, नेपाल में भूकंप, Worshipped As Goddess, Nepal Earthquake, Living Goddess, Dhana Kumari Bajracharya, Kumaris
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com