- ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया ने बहुत कम उम्र में ड्रग्स का सेवन करना शुरू किया था जिसमें अफीम और कोकीन शामिल थे
- विक्टोरिया ने चीन को अफीम भारी मात्रा में बेच कर ब्रिटिश व्यापार घाटे को खत्म किया और फायदा कमाया
- चीन ने अफीम व्यापार रोकने की कोशिश की लेकिन ब्रिटेन ने प्रथम अफीम युद्ध छेड़कर अपनी नीतियां लागू कीं
अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया में सबसे बड़ी ड्रग्स तस्कर या ड्रग्स डीलर कौन हुआ, तो आप शायद कोलंबिया के पाब्लो एस्कोबार या फिर मैक्सिको के एल चैपो ना नाम लें. अगर आपका जवाब यही है तो आप गलत हैं. इन ड्रग्स लॉर्ड्स के जन्म से 100 साल से भी पहले, एक ऐसी शक्तिशाली महिला थी जिसने इतने विशाल स्तर पर ड्रग साम्राज्य बनाया और कंट्रोल किया था कि उसके सामने आपको एस्कोबार और एल चैपो गली के ड्रग्स डीलर जैसे लगेंगे. हम बात कर रहे हैं ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की जिन्हें खुद ड्रग्स लेने का बड़ा शौक था.
क्या आपको पता है कि सन 1837 में केवल 18 साल की उम्र में विक्टोरिया को ब्रिटिश साम्राज्य की गद्दी मिल गई थी? टाइम की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्हें इस छोटी उम्र में ही खुद कोकीन से लेकर अफीम जैसे कई ड्रग्स लेने का शौक था. अफीम उनकी पसंदीदा में से एक थी - लेकिन वह इसे पाइप में नहीं पीती थी. 19वीं सदी के ब्रिटेन में, अफीम लेने का अधिक फैशनेबल तरीका इसे लॉडानम के रूप में पीना था. महारानी विक्टोरिया हर सुबह अफीम से बना लॉडानम का एक बड़ा घूंट पीती थीं, उनका मानना था कि यह एक शाही लड़की के लिए अपना दिन शुरू करने का सही तरीका है. कोकीन को वो च्युइंग गम के रूप से इस्तेमाल करती थी. इस रिपोर्ट के अनुसार गांजा, क्लोरोफॉर्म भी लेती थीं.
यह तो बात हुई उनकी अपनी पसंद की. अब बात उनके सबसे बड़े ड्रग्स डीलर बनने की. 1837 में जब उनकी ताजपोशी तो ब्रिटेन के सामने एक बड़ी समस्या था- ब्रिटिश लोग बहुत अधिक चाय पीते थे. यह अपने आप में तो कोई समस्या नहीं थी लेकिन यह चाय चीन से आ रही थी. रिपोर्ट के अनुसार लंदन का औसत परिवार अपनी आय का 5% चीनी चाय पर खर्च कर रहा था. लेकिन ब्रिटेन की परेशानी यह थी कि उसके पास चाय के बदले चीन के साथ व्यापार करने के लिए कुछ भी नहीं था. व्यापार चीन के पक्ष में था और ब्रिटेन से बहुत सारा धन चीन जा रहा था. ब्रितानी कुछ न बेचने के लिए बेताब थे - कुछ भी - कुछ ऐसा जिसका चीनी लोगों को लत लगा हो या आगे लग जाए. रानी विक्टोरिया ने इसका तोड़ निकाला- चीन को अफीम बेचने का.
चीन ने अफीम के व्यापार को रोकने की भरसक कोशिश की. चीन में अफीम पहले से ही अवैध थी, लेकिन कानून शायद ही कभी लागू किया जाता था, इसलिए अब चीनी सरकार ने सख्ती से कार्रवाई शुरू कर दी. 1839 में चीन ने ब्रिटिश जहाजों के एक बेड़े को रोका, अफीम की एक बड़ी खेप जब्त की, और अपने सैनिकों को इसे दक्षिण चीन सागर में फेंकने का आदेश दे दिया. 20 साल की महारानी नाराज हो गई और उसने चीन पर युद्ध की घोषणा की, जिसे प्रथम अफ़ीम युद्ध के नाम से जाना जाता है.
इस जंग में ब्रिटिश सेना ने चीनी सेना को बर्बाद कर दिया और हजारों चीनी नागरिकों को मार डाला. चीनी सम्राट के पास समर्पण के अलावा कोई विकल्प नहीं था. उसे एकतरफा संधि पर हस्ताक्षर करना पड़ा. हांगकांग अब अंग्रेजों के हाथ में आ गया, चीन में अफीम और अधिक भेजा जाने लगा और उसके लिए और भी अधिक बंदरगाह खोल दिए गए. चीन में रहने वाले ब्रिटिश नागरिकों को छूट मिली.
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