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सीरिया में अपनी सेना आधी करेगा अमेरिका, वहां इस्लामिक स्टेट साफ हो गया या ट्रंप को कोई मतलब नहीं?

अमेरिका आने वाले महीनों में सीरिया में तैनात अपने सैनिकों की संख्या को लगभग आधा कर 1,000 से भी कम कर देगा. यह जानकारी अमेरिकी रक्षा विभाग के हेडक्वाटर- पेंटागन से आई है.

सीरिया में अपनी सेना आधी करेगा अमेरिका, वहां इस्लामिक स्टेट साफ हो गया या ट्रंप को कोई मतलब नहीं?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका आने वाले महीनों में सीरिया में तैनात अपने सैनिकों की संख्या को लगभग आधा कर 1,000 से भी कम कर देगा. यह जानकारी अमेरिका के रक्षा विभाग के हेडक्वाटर- पेंटागन से आई है. दरअसल इस्लामिक स्टेट यानी IS समूह के खिलाफ एक्शन के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के हिस्से के रूप में अमेरिका ने सालों से सीरिया में सैनिक तैनात किए हैं. इस्लामिक स्टेट एक दशक पहले सीरिया के गृह युद्ध की अराजकता से वहां और पड़ोसी इराक में कुछ क्षेत्रों को जब्त करने के लिए उभरा था. तब से क्रूर जिहादियों को दोनों देशों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन वे अभी भी खतरा बने हुए हैं.

पेंटागन के प्रवक्ता सीन पार्नेल ने एक बयान में कहा, "आज रक्षा सचिव ने सीरिया में अमेरिकी बलों को कंसोलिडेट करने का निर्देश दिया... यह सोच-समझकर और शर्तों पर आधारित प्रक्रिया आने वाले महीनों में सीरिया में अमेरिकी सेना की संख्या को घटाकर 1,000 से भी कम कर देगी."

उन्होंने क्षेत्र के लिए जिम्मेदार सैन्य कमान का जिक्र करते हुए कहा, "जब यह एकीकरण हो रहा है... अमेरिकी सेंट्रल कमांड सीरिया में (IS) के बचे-खुचे अवशेषों के खिलाफ हमले जारी रखने के लिए तैयार रहेगा."

सीरिया से बाहर क्यों निकलना चाहते हैं ट्रंप?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से सीरिया में वाशिंगटन की उपस्थिति पर संदेह करते रहे हैं. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी सैनिकों की वापसी का आदेश दिया था. लेकिन आखिर में अमेरिकी सेना को सीरिया में रहने दिया था.

इस्लामवादी नेतृत्व वाले विद्रोहियों ने पिछले साल दिसंबर में जबरदस्त हमले के साथ आगे बढ़ते हुए सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंका है. ट्रंप ने उस समय साफ कहा है कि वाशिंगटन को "इसमें शामिल नहीं होना चाहिए!.. सीरिया उलझा हुआ है, लेकिन हमारा मित्र नहीं है, और अमेरिका को इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए. यह हमारी लड़ाई नहीं है," ट्रंप उस समय निर्वाचित राष्ट्रपति थे और उन्होंने अपने सोशल प्लेटफॉर्म- ट्रूथ पर यह बात लिखी थी.

जब IS ने 2014 हमले किए थे तो स्थानीय जमीनी बलों - कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज और इराकी सरकारी इकाइयों के समर्थन में अमेरिका ने उसपर हवाई हमले किए. वाशिंगटन ने स्थानीय बलों को सलाह देने और सहायता करने के लिए हजारों अमेरिकी कर्मियों को भी तैनात किया, कुछ मामलों में अमेरिकी सैनिक सीधे जिहादियों से लड़ रहे थे.

सालों के खूनी युद्ध के बाद, इराक के प्रधान मंत्री ने दिसंबर 2017 में IS पर अंतिम जीत की घोषणा की. वहीं सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज ने सीरिया में अपने अंतिम गढ़ पर कब्जा करने के बाद मार्च 2019 में IS समूह के "खिलाफत" की हार की घोषणा की.

हालांकि IS के जिहादियों के पास अभी भी दोनों देशों (इराक और सीरिया) के ग्रामीण इलाकों में कुछ लड़ाके हैं. अमेरिकी सेना ने इस समूह के फिर से उभार को रोकने में मदद करने के लिए लंबे समय से समय-समय पर हमले और छापेमारी की है. इसके अलावा दिसंबर में असद के तख्तापलट के बाद वाशिंगटन ने सीरिया में IS के खिलाफ सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है. हालांकि उसने हाल ही में अपना ध्यान यमन के हुती विद्रोहियों को निशाना बनाने पर केंद्रित कर दिया है, जो 2023 के अंत से अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर हमला कर रहे हैं.

अक्टूबर 2023 में गाजा युद्ध शुरू होने के बाद इराक और सीरिया में अमेरिकी सेना को ईरान समर्थक आतंकवादियों द्वारा बार-बार निशाना बनाया गया. लेकिन अमेरिका ने भी ईरान से जुड़े टारगेट पर भारी हमलों के साथ जवाब दिया गया और हमले काफी हद तक कम हो गए.

अमेरिका सालों से कहता रहा है कि IS के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के हिस्से के रूप में सीरिया में उसके लगभग 900 सैन्यकर्मी हैं. लेकिन पेंटागन ने दिसंबर 2024 में घोषणा की कि देश में अमेरिकी सैनिकों की संख्या साल की शुरुआत में दोगुनी होकर लगभग 2,000 हो गई है.

एक तरफ अमेरिका खुद सीरिया में अपनी सेना कम कर रहा है. लेकिन दूसरी तरफ इराक ने भी अपने यहां अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन की उपस्थिति को समाप्त करने की मांग की है, जहां वाशिंगटन ने कहा है कि उसके पास लगभग 2,500 सैनिक हैं. अमेरिका और इराक ने घोषणा की है कि गठबंधन 2025 के अंत तक इराक में और सितंबर 2026 तक स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र में अपने एक दशक लंबे सैन्य मिशन को समाप्त कर देगा.

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