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सीरिया में असद सरकार के अंत से तुर्की आखिर इतना खुश क्यों है?

सीरिया की राजधानी दमिश्क में विद्रोहियों के घुसने और राष्ट्रपति बशर-अल असद के देश छोड़कर भागने संबंधी दावों के बीच सरकार गिरने के साथ ही असद परिवार के 50 साल के शासन का रविवार तड़के अप्रत्याशित अंत हो गया. इससे कई देश चिंतित हैं, तो सीरिया का पड़ोसी तुर्की खुश नजर आ रहा है.

सीरिया में असद सरकार के अंत से तुर्की आखिर इतना खुश क्यों है?
असद सरकार के अंत में तुर्की की अहम भूमिका...
Turkey:

सीरिया में असद सरकार के अंत से पड़ोसी तुर्की काफी खुश नजर आ रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने सीरिया के बदले हालात पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सीरिया धार्मिक और सांप्रदायिक समुदाय के साथ सिर्फ सीरियाई लोगों का है. लेकिन तुर्की की खुशी की असल वजह क्‍या है? सीरिया के हालात पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि पड़ोसी सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के पतन के साथ, तुर्की के पास एक ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वी को उखाड़ फेंकने का मौका है, ताकि वह इस  क्षेत्र में अधिक ताकतवर बन सके. तुर्की विद्रोहियों के एक गुट का समर्थन करता रहा है. अब ये माना जा रहा है कि तुर्की, सीरिया का संरक्षक बनकर सामने आएगा. वहीं, तुर्की और रूस के रिश्‍तों में जारी तल्‍खी भी कम हो सकती है, क्‍योंकि दमिश्क में ईरान और रूस की जगह तुर्की का प्रभाव बढ़ जाएगा.    

असद सरकार के अंत में तुर्की की अहम भूमिका

मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के उपाध्यक्ष पॉल सलेम ने बताया, 'विद्रोहियों ने असद राजवंश के पांच दशक से अधिक के शासन को समाप्त कर दिया है, ये तुर्की की भी बड़ी जीत है, क्‍योंकि उसकी समर्थित सेना भी इस जंग में अहम हिस्‍सा रही है. लेकिन इस्लामवादी नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा असद को सत्ता से बेदखल करने से सीरिया का भविष्‍य अभी अधर में है. दरअसल, इस जीत के साथ एक सफल परिवर्तन का हिस्सा बनने की जिम्मेदारी भी आती है.' बता दें कि पिछले एक दशक से सीरिया एक ऐसा अखाड़ा बना हुआ था, जिसमें कई देशों द्वारा समर्थित पहलवान उतरे हुए थे. तुर्की भी इन्‍हीं में से एक है. तुर्की ने लंबे समय से उन विद्रोही गुटों का समर्थन किया, जो रूस और ईरान समर्थित बशर अल-असद सरकार को हटाना चाहते थे. इसके पीछे वजह ये थी कि तुर्की, सीरिया में ऐसी सरकार चाहता था, जो उसकी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे और कुर्दिश गुटों को रोके.

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क्‍या 'सीरिया का नया संरक्षक' बनेगा तुर्की  

मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के तुर्की कार्यक्रम के निदेशक गोनुल टोल का कहना है कि विदेश नीति के मोर्चे पर असद सरकार के पतन से तुर्की को ईरान के साथ अपदस्थ सीरियाई राष्ट्रपति के प्रमुख सहयोगी रूस के साथ अपने व्यवहार में फेरबदल करना पड़ेगा. उन्‍होंने कहा कि पहले युद्ध ने अंकारा को मॉस्को में लिए गए निर्णयों के प्रति 'असुरक्षित' बना दिया था, सीरिया के उत्तर-पश्चिम में सीमा पर रूसी बमबारी से शरणार्थियों की एक नई आमद की आशंका बढ़ गई थी. लेकिन असद सरकार के अंत के बाद अब 'रूस के साथ संबंधों में तुर्की का हाथ मजबूत होगा.' इसी तरह वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी के वरिष्ठ फेलो सोनेर कैगाप्टे ने भविष्यवाणी की कि 'दमिश्क में ईरान और रूस की जगह तुर्की का प्रभाव बढ़ जाएगा.'

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क्‍या 'सीरिया का नया संरक्षक' बनेगा तुर्की  

गोनुल टोल का कहना है कि विदेश नीति के मोर्चे पर असद सरकार के पतन से तुर्की को ईरान के साथ अपदस्थ सीरियाई राष्ट्रपति के प्रमुख सहयोगी रूस के साथ अपने व्यवहार में फेरबदल करना पड़ेगा. उन्‍होंने कहा कि पहले युद्ध ने अंकारा को मॉस्को में लिए गए निर्णयों के प्रति 'असुरक्षित' बना दिया था, सीरिया के उत्तर-पश्चिम में सीमा पर रूसी बमबारी से शरणार्थियों की एक नई आमद की आशंका बढ़ गई थी. लेकिन असद सरकार के अंत के बाद अब 'रूस के साथ संबंधों में तुर्की का हाथ मजबूत होगा.' इसी तरह वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी के वरिष्ठ फेलो सोनेर कैगाप्टे ने भविष्यवाणी की कि 'दमिश्क में ईरान और रूस की जगह तुर्की का प्रभाव बढ़ जाएगा.'

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क्‍या तुर्की निभा पाएगा सीरिया में अहम भूमिका?

कैगाप्टे ने तर्क दिया कि अंकारा को अब 'अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने' और 'रूस और ईरान को बाहर निकालने' के लिए इस्लामी समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) की मदद करनी चाहिए, जिसने विद्रोही हमले का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा, लेकिन 'अगर तुर्की सीरिया का नया संरक्षक बन जाता है, तो यह काम नहीं करेगा.' हालांकि, इससे उलट, बर्लिन के सेंटर फॉर एप्लाइड टर्की स्टडीज के सिनेम अदार ने कहा कि यह 'यह बताना जल्दबाजी होगी' कि क्या तुर्की वास्तव में असद के पतन से "विजेता" बनकर उभरा है? अदार ने कुर्द नेतृत्व वाली सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज के साथ-साथ 'एचटीएस और अंकारा के बीच की संबंधों' का जिक्र करते हुए कहा, 'बहुत कुछ स्थानीय गुटों, खासतौर से एचटीएस और एसडीएफ के बीच के संबंधों पर बहुत कुछ निर्भर करता है.'

तुर्की से सीरिया लौट सकते हैं शरणार्थी 

विदेश मंत्री हाकन फ़िदान ने रविवार को कहा कि तुर्की 'सुरक्षा की गारंटी' और 'सीरिया के घावों को भरने' के लिए तैयार है. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि सीरिया में सत्ता का अब शांतिपूर्ण तरीके से हस्‍तांतरण होना चाहिए. तुर्की की धरती पर देश के खूनी गृहयुद्ध से भागे तीन मिलियन (30 लाख) सीरियाई लोगों अब राहत की सांस ले सकते हैं. साथ ही उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की है कि वे शरणार्थी, जिनकी उपस्थिति ने तुर्की में मजबूत सीरियाई विरोधी भावना पैदा की है, अब घर लौट सकते हैं. मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के तुर्की कार्यक्रम के निदेशक गोनुल टोल ने कहा, 'सीरियाई शरणार्थियों की वापसी की संभावना से तुर्की में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के लिए समर्थन बढ़ेगा.'

सीरिया में रविवार को विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया. विद्रोही लड़ाके सरकारी टेलीविजन चैनल पर दिखाई दिए. उन्होंने दमिश्क के पतन और राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन के अंत की घोषणा की. इसके बाद असद के देश छोड़ के भागने की खबरें आईं. सीरिया के सबसे बड़े विद्रोही गुट के प्रमुख ने असद के पतन के बाद पहली बार सामने आकर इसे ‘इस्लामिक राष्ट्र की जीत' बताया. वहीं, रूस की सरकारी समाचार एजेंसियों ने खबर दी है कि सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनका परिवार मॉस्को में है और उन्हें शरण दी गई है. असद सरकार के पतन के बाद बड़ी संख्या में नागरिक सड़कों पर उतर आए और 'क्रांति ध्वज' लहराने लगे. यह एक पुराना ध्वज है जिसका उपयोग सीरिया में बशर अल-असद के दिवंगत पिता हाफिज अल-असद के शासन से पहले किया जाता था. 59 वर्षीय बशर अल-असद ने अपने पिता हाफ़िज़ अल-असद की मृत्यु के बाद 2000 में सत्ता संभाली। अल असद 1971 से देश का शासन संभाल रहे थे.

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