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बंधकों को छोड़ने पूरी वर्दी में क्यों आए हमास के लड़ाके! यह इजरायल के लिए संदेश है

इजराइल का अब तक का सबसे लंबा युद्ध अपने सबसे बड़े दुश्मन, हमास को नष्ट करने में विफल रहा है. हमास विनाशकारी नुकसान झेलने के बावजूद, गाजा युद्धविराम समझौते को अपनी जीत और इजरायल के लिए विफलता के रूप में मान रहा है.

बंधकों को छोड़ने पूरी वर्दी में क्यों आए हमास के लड़ाके! यह इजरायल के लिए संदेश है
सीजफायर होते ही गाजा की तबाह सड़कों पर हमास के नकाबपोश लड़ाके
तेल अवीव:

इजरायल और हमास के बीच आखिरकार युद्धविराम समझौता हो गया. लेकिन इस युद्धविराम समझौते से शायद ही बेंजामिन नेतन्‍याहू खुश हैं, क्‍योंकि उनकी कसम अभी तक अधूरी है. इजराइल का अब तक का सबसे लंबा युद्ध अपने सबसे बड़े दुश्मन, हमास को नष्ट करने में विफल रहा है. हमास विनाशकारी नुकसान झेलने के बावजूद, गाजा युद्धविराम समझौते को अपनी जीत और इजरायल के लिए विफलता के रूप में मान रहा है. इजरायल के कुछ नेता भी इस युद्धरविराम को उनके देश की हार के रूप में देख रहे हैं. 

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गाजा की सड़कों पर बंदूकधारियों का जश्‍न 

बंधकों की अदला-बदली रविवार की हुई, युद्धविराम लागू होने के तुरंत बाद नकाबपोश बंदूकधारी वाहनों में सवार होकर गाजा की तबाह सड़कों पर जश्न मनाते हुए घूम नजर आए. बंधकों की अदला बदली के दौरान एक खास यूनिट के सदस्यों ने गाजा शहर के अल सराया स्क्वायर पर अपनी पूरी वर्दी पहनी थी. यह हमास का का संदेश था कि इजरायल द्वारा उन्हें नष्ट करने के प्रयास के 15 महीने बाद भी उसकी सशस्त्र शाखा यहां है. वह अभी तक खत्‍म नहीं हुए हैं, जैसी की प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने कसम खाई थी. 

हमास का इजरायल के लिए एक संदेश...

रविवार को सीजफायर लागू होते ही हमास के इलीट फोर्स के लड़ाके गाजा की तबाह सड़कों पर अचानक नमूदार होने लगे. मुंह पर नकाब और हाथों में हथियार लिए ये लड़ाके अपनी पूरी वर्दी में दिखाई दिए. दरअसल इसे हमास का इजरायल के लिए एक संदेश भी माना जा रहा है कि उसकी तमाम कोशिशों के बाद भी वह जिंदा है.

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दरअसल, गाजा की सड़कों पर 471 दिन बाद हमास ने अपनी ताकत दिखाई. सफेद रंग के पिकअप ट्रक में मुंह पर नकाब पहने हमास के लड़ाके हथियार लहराते हुए गाजा की गलियों में निकले. इस दौरान उनके समर्थक जोश में नारे लगाते हुए भी देखे गए. दरअसल इसे सीधा सीधा इजरायल और दुनिया के देशों को संदेश माना जा रहा है कि हमास नेस्तनाबूद नहीं हुआ है. उसे भारी नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन इजरायल उसकी कमर तोड़ने में नाकाम रहा है.

इजरायल और हमास के बीच क्‍या हुआ समझौता

7 अक्टूबर, 2023 को इज़राइल पर हमले के दौरान लगभग 250 बंधकों को लेने का हमास का मकसद इजरायली जेलों में बंद फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करना था. जैसे ही इजरायल ने गाजा पर हमला किया, जवाब में हमास ने बंधकों को तब तक वापस नहीं करने की कसम खाई जब तक कि इज़राइल अपनी सेना को एन्क्लेव से वापस नहीं ले लेता, युद्ध को स्थायी रूप से समाप्त नहीं कर देता, और गाजा को फिर से आबाद करने की इजाजत नहीं देता है. एक साल से ज्‍यादा चली लड़ाई के बाद हमास और इजरायल अब एक चरणबद्ध समझौते पर पहुंचे, जिसमें 42 दिनों के युद्धविराम और सहायता के प्रवेश के अलावा फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में बंधकों की रिहाई शामिल होगी. यह समझौता आगे की बातचीत के लिए भी द्वार खोलता ,है जिससे गाजा से इजरायल की पूर्ण वापसी और स्थायी युद्धविराम हो सकता है.

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'समझौता नहीं आत्‍मसमर्पण...' 

हमास के मुख्य वार्ताकार खलील अल हय्या ने बुधवार को एक भाषण में कहा कि इजरायल अपने मंसूबों को हासिल करने में विफल रहा है. साथ ही हमास के सशस्त्र विंग, अल क़सम ब्रिगेड की प्रशंसा की, जिसके प्रवक्ता अबू ओबैदा ने गाजा में युद्ध को 'प्रेरणा' के रूप में सराहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियां सबक लेंगी. इजरायल का मुख्य लक्ष्य हमास को ख़त्म करना था, लेकिन अभी तक ये हो न सका. उधर, कुछ इजरायली मंत्री, कानून निर्माता और यहां तक ​​कि बंधक परिवारों के कुछ सदस्‍य समझौते की स्वीकृति को इजरायली हार के रूप में देखते हैं. धुर दक्षिणपंथी मंत्री इटमार बेन ग्विर और उनकी पार्टी ने संघर्ष विराम को 'आत्मसमर्पण' बताते हुए सरकार और नेसेट (संसद) से इस्तीफा दे दिया. साथी दक्षिणपंथी, वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच ने इसे 'विनाशकारी' कहा और सेना आरक्षितों के एक समूह ने इसे 'आत्मसमर्पण सौदा' का नाम दिया.

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