
- हिप-हॉप कलाकार शॉन डिडी कॉम्ब्स को दो पूर्व गर्लफ्रेंड्स से जुड़े वेश्यावृत्ति के आरोपों में दोषी ठहराया.
- कॉम्ब्स को न्यायाधीश अरुण सुब्रमण्यन ने 50 महीने की जेल और पांच साल की निगरानी रिहाई की सजा सुनाई गई है.
- न्यायाधीश ने महिलाओं के खिलाफ शोषण और हिंसा को बर्दाश्त न करने का कड़ा संदेश देने के लिए सजा आवश्यक बताई.
हिप-हॉप के बादशाह शॉन 'डिडी' कॉम्ब्स को तीन अक्टूबर को दो एक्स-गर्लफ्रेंड्स से जुड़े वेश्यावृत्ति के आरोपों में दोषी ठहराया गया है. इस पूरे मामले में उन्हें अब 50 महीने जेल की सजा सुनाई गई है. यूं तो यह पूरा मामला हमेशा से ही सुर्खियों में था लेकिन सजा से ज्यादा चर्चा जज की रही. इस मामले में भारतीय मूल के जज अरुण सुब्रमण्यन ने डिडी के खिलाफ सजा का ऐलान किया है. उन्होंने सजा सुनाते हुए यह साफ किया कि न्याय को बनाए रखने और समाज को एक बड़ा संदेश देने के लिए कड़ी सजा की जरूरत है.
कड़ा संदेश देना बेहद जरूरी
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, सुब्रमण्यन ने कहा कि सजा का मकसद 'दुर्व्यवहार करने वालों और पीड़ितों, दोनों को यह संदेश देना है कि महिलाओं के खिलाफ शोषण और हिंसा को हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जवाबदेही तय करने के साथ ही कड़ी सजा भी मिलेगी. चूंकि कॉम्बस पहले ही कुछ महीनों की सजा काट चुके हैं तो अब उन्हें 36 महीने और जेल में बिताने होंगे. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उन पर 500,000 डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया है और पांच साल की निगरानी रिहाई की सजा दी गई है.
कुछ बोल नहीं सके डिडी
वहीं पीपल मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार, सुब्रमण्यन ने कहा कि कॉम्ब्स एक प्रतिष्ठित कलाकार हैं लेकिन जो जुर्म उन्होंने किया है, उसकी कोई माफी नहीं है. सुब्रमण्यन ने कहा कि डिडी के की तरफ से किए यौन और शारीरिक हिंसा जैसे अपराधों के बदले उन्हें इतिहास में सबसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए. द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, जब न्यायाधीश ने उन्हें वर्षों से किए जा रहे दुर्व्यवहार के लिए फटकार लगाई और सजा काटते समय जिम्मेदारी लेने को कहा, तो कॉम्ब्स कोर्ट में एकदम मोशनलेस बैठे रहे.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुब्रमण्यन ने बचाव पक्ष की तरफ से कॉम्ब्स के अपनी पूर्व गर्लफ्रेंड कैसंड्रा 'कैसी' वेंचुरा और 'जेन' नाम से गवाही देने वाली एक और महिला के साथ संबंधों को केवल इंटीमेट और सहमति से बने संबंधों के तौर पर पेश करने के प्रयासों को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'आपने उनका शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तौर पर शोषण किया.' न्यायाधीश ने कॉम्ब्स से कहा, 'आपने पैसे और ताकत के दम पर यह अपराध किया.'
कौन हैं अरुण श्रीनिवास
अरुण श्रीनिवास सुब्रमण्यन का जन्म 1979 में पेंसिल्वेनिया में भारतीय प्रवासी माता-पिता के घर हुआ था. उनकी मां एक मुनीम के तौर पर काम करती थीं तो उनके पिता एक कंट्रोल सिस्टम इंजीनियर थे. अरुण सुब्रमण्यन ने साल 2004 में केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी से आर्ट ग्रेजुएट की उपाधि और कोलंबिया लॉ स्कूल से ज्यूरिस डॉक्टर (JD) की उपाधि हासिल की. अरुण ने अमेरिकी द्वितीय सर्किट अपील न्यायालय में न्यायाधीश डेनिस जैकब्स के अधीन और फिर न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में न्यायाधीश जेरार्ड ई. लिंच के अधीन कार्य किया.
साल 2007 में, अरुण सुब्रमण्यन सुसमैन गॉडफ्रे एलएलपी में शामिल हुए और आखिर में इसके भागीदार बन गए. उन्होंने साल 2023 तक न्यूयॉर्क की इस लॉ फर्म में काम किया. अपने कानूनी करियर के दौरान, अरुण ने बाकी मामलों के अलावा बाल पोर्नोग्राफी तस्करी के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व किया है. वह अपनी फ्री सर्विसेज के लिए जाने जाते थे. उन्होंने द्वितीय सर्किट अपील न्यायालय के निःशुल्क पैनल में भी कार्य किया. अपने शानदार करियर के दौरान, अरुण सुब्रमण्यन को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साल 2022 में फेडरल जज के लिए भी नामित किया था जिसकी पुष्टि 2023 में हुई.
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