नई दिल्ली:
नॉर्थ कोरिया ने एक रॉकेट का परीक्षण कर एक बार फिर विवादों को जन्म दे दिया है। पिछले 6 जनवरी को ही उसने एक परमाणु परीक्षण किया था। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद नॉर्थ कोरिया लगातार अपने परमाणु आयुद्ध को हासिल करने में लगा है। रॉकेट परीक्षण को उसी कड़ी में देखा जा रहा है। उपग्रह को अंतरिक्ष में उसकी कक्षा में पहुंचाने वाले उत्तर कोरिया के इस रॉकेट को दुनिया शक़ की निगाह से देख रही है।
दक्षिण कोरिया समेत ज़्यादातर देशों का मानना है कि उत्तर कोरिया ने उपग्रह की आड़ में लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने इस रॉकेट परीक्षण को संयुक्त राष्ट्र समझौते का उल्लंघन क़रार दिया है। आबे ने कहा है कि हम किसी हाल में इसकी इजाज़त नहीं दे सकते। हम अपने लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएंगे।
उत्तर कोरिया अपने नेता किम जोंग उन के नेतृत्व में अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में लगा है। अमेरिका समेत पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इसके ख़िलाफ़ है। यही वजह है कि उत्तर कोरिया पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। इसके बावजूद उत्तर कोरिया लंबी दूरी की ऐसी मिसाइलें बनाने की कोशिश में है जिन्हें परमाणु बमों से लैस किया जा सके। वो अपनी मारक क्षमता में सिर्फ़ दक्षिण कोरिया ही नहीं पूरे अमेरिका को भी लेना चाहता है। ताज़ा परीक्षण के बाद दक्षिण कोरिया ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक इमरजेंसी बैठक बुलाई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी एक आपात बैठक बुलाई है।
उधर जापान सरकार के प्रवक्ता योशिहिदे सुगा ने कहा है कि रॉकेट लॉन्च के बाद जापान ने बीजिंग में अपने दूतावास के ज़रिए उत्तर कोरिया को सख़्त संदेश भेजा है। जापान अब अपनी ओर से उत्तर कोरिया पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रहा है। उत्तर और दक्षिण कोरिया की सरहद दुनिया में सबसे तनाव भरी मानी जाती है। यहां दोनों ही ओर से काफ़ी तादाद में सैनिकों का जमावड़ा है।
माना जाता है कि उत्तर कोरिया के पास छोटे परमाणु हथियार और कम और मध्यम दूरी की मिसाइल हैं। पिछले ही महीने छह जनवरी को उसने हाइड्रोजन बम के परीक्षण का दावा भी किया था। इसके अभी पुख़्ता प्रमाण नहीं हैं लेकिन उत्तर कोरिया की हरक़तों से विश्व बिरादरी तनाव में आ गई है।
दक्षिण कोरिया समेत ज़्यादातर देशों का मानना है कि उत्तर कोरिया ने उपग्रह की आड़ में लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने इस रॉकेट परीक्षण को संयुक्त राष्ट्र समझौते का उल्लंघन क़रार दिया है। आबे ने कहा है कि हम किसी हाल में इसकी इजाज़त नहीं दे सकते। हम अपने लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएंगे।
उत्तर कोरिया अपने नेता किम जोंग उन के नेतृत्व में अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में लगा है। अमेरिका समेत पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इसके ख़िलाफ़ है। यही वजह है कि उत्तर कोरिया पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। इसके बावजूद उत्तर कोरिया लंबी दूरी की ऐसी मिसाइलें बनाने की कोशिश में है जिन्हें परमाणु बमों से लैस किया जा सके। वो अपनी मारक क्षमता में सिर्फ़ दक्षिण कोरिया ही नहीं पूरे अमेरिका को भी लेना चाहता है। ताज़ा परीक्षण के बाद दक्षिण कोरिया ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक इमरजेंसी बैठक बुलाई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी एक आपात बैठक बुलाई है।
उधर जापान सरकार के प्रवक्ता योशिहिदे सुगा ने कहा है कि रॉकेट लॉन्च के बाद जापान ने बीजिंग में अपने दूतावास के ज़रिए उत्तर कोरिया को सख़्त संदेश भेजा है। जापान अब अपनी ओर से उत्तर कोरिया पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रहा है। उत्तर और दक्षिण कोरिया की सरहद दुनिया में सबसे तनाव भरी मानी जाती है। यहां दोनों ही ओर से काफ़ी तादाद में सैनिकों का जमावड़ा है।
माना जाता है कि उत्तर कोरिया के पास छोटे परमाणु हथियार और कम और मध्यम दूरी की मिसाइल हैं। पिछले ही महीने छह जनवरी को उसने हाइड्रोजन बम के परीक्षण का दावा भी किया था। इसके अभी पुख़्ता प्रमाण नहीं हैं लेकिन उत्तर कोरिया की हरक़तों से विश्व बिरादरी तनाव में आ गई है।
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