
- चीन में एससीओ समिट के दौरान रूस और भारत के साथ चीन के राष्ट्रपति की तस्वीरों ने ट्रंप को परेशान कर दिया है.
- ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भारत और रूस को चीन के प्रभाव में खोने को लेकर चिंता जताई है.
- अमेरिकी विशेषज्ञों और पूर्व राजनयिकों ने भी ट्रंप की भारत पर टैरिफ नीति को लेकर चेतावनी दी थी.
चीन में एससीओ समिट के दौरान रूस के राष्ट्रपति पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति की तस्वीरें देखकर अमेरिका के राष्ट्रपति बौखला गए हैं. पहले उन्होंने चीन को लुभाने की कोशिश की और जब चीन की तरफ से कुछ जवाब नहीं आया तो अब अपने ट्रूथ सोशल मीडिया के जरिए अपनी पीड़ा बता रहे हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ पर आज एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि "ऐसा लग रहा है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है. उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो."
ऐसा नहीं है कि ट्रंप ने पहली बार इस तरह से हथियार डाले हों. 3 सितंबर को ही ट्रूथ पर ट्रंप ने लिखा था, "सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग उस अपार समर्थन और "रक्त" का ज़िक्र करेंगे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन को एक बेहद अमित्र विदेशी आक्रमणकारी से आज़ादी दिलाने में दिया था. चीन की विजय और गौरव की खोज में कई अमेरिकी शहीद हुए. मुझे उम्मीद है कि उन्हें उनके साहस और बलिदान के लिए उचित सम्मान और याद दिया जाएगा! राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन के अद्भुत लोगों के लिए यह एक महान और स्थायी उत्सव का दिन हो. कृपया व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं दें, क्योंकि आप संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं."
भारत पर टैरिफ लगाने पर चेता रहे थे एक्सपर्ट
ट्रंप ने जब भारत पर टैरिफ लगाए तो दुनिया को तो हैरानी हुई ही, खुद अमेरिकी एक्सपर्ट भी हैरान रह गए. उन्होंने ट्रंप को चेताया कि इससे वो भारत को रूस और चीन के पाले में जाने को मजबूर कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकीं और दक्षिण कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन की भारत को लेकर नीतियों पर सवाल उठाए थे. उन्होंने एक लेख लिखकर कहा था कि अमेरिका और भारत के रिश्ते जिस राह पर जा रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक है. हेली ने लिखा कि जुलाई 1982 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था, तब उन्होंने दोनों देशों की दोस्ती की तारीफ करते हुए कहा था कि भले ही हमारे देश कभी-कभी अलग रास्तों पर चलें, हमारी मंजिल एक ही है. लेकिन आज, चार दशक बाद, दोनों देशों के रिश्ते एक मुश्किल मोड़ पर खड़े हैं.

निक्की हेली ने लिखा कि ट्रंप प्रशासन का मकसद चीन से मुकाबला करना और ताकत के दम पर शांति कायम करना है. इन लक्ष्यों को पाने के लिए अमेरिका-भारत रिश्तों को पटरी पर लाना बेहद जरूरी है. लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में हालात तेजी से बिगड़े हैं. ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने पर भारत को 25% टैरिफ की धमकी दी, जबकि भारतीय सामानों पर पहले ही इतना टैरिफ लगाया जा चुका है.
अमेरिका के पूर्व एनएसए ने भी चेताया
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने भी राष्ट्रपति ट्रंप पर पाकिस्तान में अपने परिवार के व्यापारिक सौदों को फायदा पहुंचाने के लिए भारत के साथ अमेरिका के संबंधों को खतरे में डालने का आरोप लगाया था. पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल के इस अधिकारी ने वाशिंगटन-नई दिल्ली संबंधों को त्यागने के ट्रंप के कदम को अमेरिका के अपने हितों के लिए "बड़ा रणनीतिक नुकसान" बताया.

जेक सुलिवन ने एक यूट्यूब चैनल मीडासटच पर बोलते हुए कहा, "दशकों से चले आ रहे द्विदलीय आधार पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ अपने संबंध बनाने के लिए काम किया है - वह एक ऐसा देश है जिसके साथ हमें टेक्नोलॉजी, प्रतिभा और इकनॉमिक्स और कई अन्य मुद्दों पर गठबंधन करना चाहिए, और चीन से रणनीतिक खतरे से निपटने के लिए साथ आना चाहिए."
फिर भी ट्रंप अड़े रहे और बौखला रहे
अमेरिका की एक कोर्ट ने भी टैरिफ को असंवैधानिक कहा तो व्हाइट हाउस में एक रेडियो शो में और फिर मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने अपनी जिद पर अड़ते हुए कहा, 'चीन, भारत और ब्राजील हमें टैरिफ से मार रहे हैं. अगर हमें कोर्ट से राहत नहीं मिली तो यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आपदा साबित होगी.' मगर अब ट्रंप को एहसास होने लगा है कि उन्होंने टैरिफ लगाकर अमेरिका को कितने साल पीछे छोड़ दिया है. हालांकि, अब भी वो अपनी गलती नहीं मान रहे और भारत, रूस और चीन को ही देख लेने की एक तरह से धमकी दे रहे हैं,
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