अभेद्य किले को भेद पाने में कैसे सफल हो पाया हमास? इजराइली सेना की हालात पर पैनी नजर

इजराइल के सूत्रों ने बताया कि मीडिया में जो कुछ दिखाया जा रहा है उसमें बहुत कुछ सच्चाई नहीं हैं

अभेद्य किले को भेद पाने में कैसे सफल हो पाया हमास? इजराइली सेना की हालात पर पैनी नजर

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

पहले हमास का इज़राइल पर हमला और उसके बाद इज़राइल की जवाबी कार्रवाई पर सेना पैनी नज़र बनाए हुए है. सेना के टॉप कमांडर इजराइल के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं.एक-एक बात समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर हमास कैसे इज़राइल के अभेद्य किले को भेद पाने में सफल हो पाया.

इजराइल के सूत्रों ने बताया कि मीडिया में जो कुछ दिखाया जा रहा है उसमें बहुत कुछ सच्चाई नहीं हैं.मसलन यह खबर आई कि फेंस पर लगा आयरन डोम सिस्टम फेल हो गया है जो पूरी तरह गलत है. इस सिस्टम ने अपना काम बखूबी किया है. लोगों और महत्वपूर्ण संस्थानों तक हमास के रॉकेट पहुंचने नहीं दिए.क्रिटिकल टारगेट से रॉकेट को डायवर्ट कर दिया. ज़्यादातर रॉकेट खेतों में या खाली जगहों में गिरे जिससे नुकसान बहुत कम हुआ. 

यह ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम है जो 70 किलोमीटर तक की दूरी पर ही अपने लक्ष्य का पता लगा लेता है. यह ना केवल रॉकेट को ट्रैक करता है बल्कि यह भी पता लगा लेता है कहां गिरेगा तो कितना नुकसान होगा. कंट्रोल सिस्टम से मिले कमांड पर मिसाइल दागी जाती है. तामीर इंटरसेप्टर के साथ लक्ष्य पर हमला करता है. यह 3 मीटर लंबा, 0.16 मीटर व्यास वाला होता है. यह आने वाले प्रोजेक्टाइल का पता लगाने, आने वाले खतरे को ट्रैक करने और लगातार स्थिति को अपडेट करने के लिए सक्षम और जटिल रडार का उपयोग करता है जो छोटे रॉकेट और तोपखाने के टुकड़ों का भी पता लगा सकता है. 

कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इजरायली सेना ने कहा कि हमास ने शनिवार को करीब 2,500 रॉकेट दागे, जबकि हमास का दावा है कि उसने 5,000 रॉकेट दागे. आने वाले रॉकेटों की इतनी संख्या आयरन डोम द्वारा पहले कम समय में रोके गए किसी भी रॉकेट हमले से काफी बड़ी है. इतनी बड़ी इंगेजमेंट दुनिया में किसी भी प्रणाली की क्षमताओं से परे है. 

इज़राइली डिफेंस फोर्स के मुताबिक इजराइली क्षेत्र में दागे गए प्रत्येक रॉकेट पर एक इंटरसेप्टर मिसाइल नहीं दागी जाती है. इसके बजाय, ट्रैकिंग डेटा के आधार पर सिस्टम केवल तभी इंटरसेप्टर फायर करता है जब आने वाला रॉकेट आबादी वाले क्षेत्र के लिए खतरा पैदा करता है. अगर खतरा नहीं समझा गया तो आने वाला रॉकेट किसी आबादी रहित क्षेत्र में उतरेगा. इस सिस्टम को करीब 20 से 25 रॉकेट को एक साथ काउंटर करने के लिए बनाया गया है लेकिन जब एक साथ इससे ज़्यादा रॉकेट आते है तो फिर यह उतना असरदार नही रह पाता है. 

जब हमास ने शनिवार को हमला किया तो फेंस के ऊपर कई जगहों पर उनके जवान  मौजूद नही थे क्योंकि उस दिन उनका एक महत्वपूर्ण त्योहार था और वो सब उसी को एंजॉय कर रहे थे. इज़राइली अधिकारियों का यह भी कहना है कि मीडिया में यह गलत खबर चली कि साइबर अटैक से वहां पानी की सप्लाई रुक गई है. उनके मुताबिक इज़राइल में तो हमेशा साइबर अटैक होता रहता है और वे उसे हमेशा विफल करते रहते हैं. यह भी पता चला कि हमास की ओर से ड्रोन से हमले किए गए तो उससे घबराकर गलती से सायरन बज गए. इससे अफरातफरी फैल गई. हिज़्बुल्लाह के लोगों ने यह भी अफवाह फैलाई कि उसने भी इज़राइल के फेंस को तोड़ दिया है जो पूरी तरह से गलत है. 

देश में सेना हमास के हमले से सीख लेते हुए अपने सिस्टम को दुरुस्त करने में जुटी हैं.अब वह केवल तकनीक पर ही भरोसा नहीं कर रही है बल्कि सैनिकों से मिले फीड बैक को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बनाने में जुटी है. इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि जरूरत से ज़्यादा आत्मविश्वास भी घातक होता है. इससे भी सावधान रहने की जरूरत है. 

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सेना के बड़े अधिकारी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि अगर इस घटना से सबक लेकर नीतियों में बदलाव की जरूरत पड़ी तो वे हिचकेंगे नहीं.