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This Article is From Jul 25, 2020

दक्षिण चीन सागर तनाव पर अमेरिका की चेतावनी, "यदि फ्री नेशंस कुछ नहीं करते हैं तो..."

इससे पहले 13 जुलाई को, श्री पोम्पेओ ने दक्षिण चीन सागर में समुद्री दावों पर अमेरिका की स्थिति पर एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि चीन सरकार के पास इस क्षेत्र पर एकतरफा अपनी इच्छा रखने का कोई कानूनी आधार नहीं है.

दक्षिण चीन सागर तनाव पर अमेरिका की चेतावनी, "यदि फ्री नेशंस कुछ नहीं करते हैं तो..."
दक्षिण चीन सागर को तीन द्वीपसमूह में बांटा गया है. (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:

दक्षिण चीन सागर के सामरिक जल क्षेत्र में बीजिंग के अवैध क्षेत्रीय दावों पर संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे मजबूतv हमलों में से एक में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शनिवार को जोर देकर कहा कि इस क्षेत्र में वाशिंगटन की नीति स्पष्ट है, उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में विवादित क्षेत्र "चीन का समुद्री साम्राज्य नहीं है". पोम्पिओ ने एक ट्वीट में कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति स्पष्ट है, दक्षिण चीन सागर चीन का समुद्री साम्राज्य नहीं है. यदि बीजिंग अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है और स्वतंत्र राष्ट्र (Free Nations) कुछ नहीं करते हैं, तो इतिहास दिखाता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) आसानी से अधिक क्षेत्र ले लगी. चीन सागर विवादों को अंतरराष्ट्रीय कानून के माध्यम से हल किया जाना चाहिए "

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दक्षिण चीन सागर को तीन द्वीपसमूह में बांटा गया है. चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर को अपने संप्रभु क्षेत्र के रूप में दावा करता है और इसने हाल के वर्षों में आक्रामक रूप से अपनी हिस्सेदारी का दावा किया है. यह बयान संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दक्षिण चीन सागर के अधिकांश क्षेत्रों में अपतटीय संसाधनों के लिए चीन के दावों को आधिकारिक तौर पर खारिज करने के हफ्तों बाद आता है जिसमें बीजिंग की बदमाशी के अभियान को "पूरी तरह से गैरकानूनी" करार दिया है.

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इससे पहले 13 जुलाई को, श्री पोम्पेओ ने दक्षिण चीन सागर में समुद्री दावों पर अमेरिका की स्थिति पर एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि चीन सरकार के पास इस क्षेत्र पर एकतरफा अपनी इच्छा रखने का कोई कानूनी आधार नहीं है.

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वाशिंगटन ने घोषणा की कि वह 2016 के आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले के साथ दक्षिण चीन सागर में चीनी सरकार के दावों पर अमेरिकी स्थिति को लाइनअप कर रहा है. ट्रम्प प्रशासन ने बीजिंग के प्रति अपने रुख को और कड़ा कर दिया है, विशेषरूप से दो महाशक्तियों के बीच संबंध कोरोनावायरस महामारी के कारण बिगड़े हैं, इसके साथ ही भारत सहित अपने पड़ोसियों के साथ चीन के जबरदस्तीपूर्ण व्यवहार के कारण भी. 

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