अमेरिका ने सोमवार को हुवावेई को लेकर सख्ती बढ़ा दी. इसके तहत उसने कंपनी की 21 देशों में 38 संबद्ध इकाइयों को अपनी निगरानी सूची में शामिल किया है. अमेरिका इन कदमों के जरिये यह सुनिश्चित कर रहा है कि कंपनी किसी तरीके से उसके कानून के साथ खिलवाड़ नहीं करे. हुवावेई को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की निगरानी इकाई माना जाता है. इसको लेकर पुराने विदेशी उत्पादित प्रत्यक्ष उत्पाद (एफडीपी) नियम में संशोधन किया गया है. यह हुवावेई को अमेरिकी साफ्टवेयर या प्रौद्योगिकी से विकसित अथवा उत्पादित विदेशों में बने वैसे चिप प्राप्त करने से रोकता है, जो अमेरिकी चिप के समान हैं.
उसने 21 देशों में हुवावेई संबद्ध 38 इकाइयों को ‘इकाई सूची' में डाला है. इसके तहत सभी जिंसों के लिये लाइसेंस की जरूरत होती है जो निर्यात प्रशासन नियमन (ईएएआर) और संशोधित चार मौजूदा हुवावेई इकाई सूची पर निर्भर है. भारत में हुवावेई से संबद्ध इकाई को पहले इस सूची में शामिल किया जा चुका है. वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने कहा, ‘‘हुवावेई और उसकी दूसरे देशों में कार्यरत इकाइयों ने अमेरिकी साफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी से उत्पादित या विकसित अत्याधुनिक सेमिकंडक्टर हासिल करने के प्रयास किये हैं ताकि वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मकसद को पूरा कर सके.''
ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे पर कभी हस्तक्षेप नहीं किया और चीन के विरोध में खड़े रहे - कैम्पेन टीम
उन्होंने कहा, ‘‘जब हमने अमेरिकी प्रौद्योगिकी की पहुंच पर रोक लगा दी, हुवावेई और उसकी संबबद्ध इकाइयों ने तीसरे पक्ष के जरिये अमेरिकी प्रौद्योगिकी हासिल करने के प्रयास किये. इससे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी नीति हितों को नुकसान पहुंचता. हमारा यह कदम बताता है कि हम हुवावेई को इस प्रकार के कार्यों से रोकने के लिये प्रतिबद्ध हैं.'' एक अलग बयान में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका ने प्रभावित कंपनियों और लोगों को (मुख्य रूप से हुवावेई के ग्राहक) उपकरण, साफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी के दूसरे स्रोत को चिन्हित करने और उसका उपयोग करने के लिये पर्याप्त समय दिया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)