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आतंकी का राष्ट्रपति बनना और अमेरिका की मान्यता… ट्रंप ने कैसे बदली मिडिल ईस्ट की पूरी जियोपॉलिटिक्स, समझें

Donald Trump Middle East Visit: खाड़ी देशों के दौरे पर राष्ट्रपति ट्रंप की सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के साथ बैठक यकीनन सबसे महत्वपूर्ण थी और इसने मध्य और पश्चिम एशिया के भूराजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दिया है.

आतंकी का राष्ट्रपति बनना और अमेरिका की मान्यता… ट्रंप ने कैसे बदली मिडिल ईस्ट की पूरी जियोपॉलिटिक्स, समझें
Donald Trump Middle East Visit: राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात की

डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के पहले आधिकारिक विदेश यात्रा पर मिडिल ईस्ट (Donald Trump Middle East Visit) में हैं और एक साथ कई सामरिक समीकरण बदल रहे हैं, नए गढ़ रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 14 मई को सऊदी अरब में सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात कर इतिहास रच दिया है. इस दौरे पर उनकी सभी बैठकों और बातचीत में से, राष्ट्रपति ट्रंप की यह बैठक यकीनन सबसे महत्वपूर्ण थी और इसने मध्य और पश्चिम एशिया के भूराजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दिया है.

दुनिया इस ओर ध्यान से क्यों देख रही?

राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रपति अल-शरा से मुलाकात की तो दुनिया जिस वजह से कुछ हद तक हैरान हो गई है, वह उनकी संदिग्ध पृष्ठभूमि है. अभी हाल तक अहमद अल-शरा को उसके निकनेम अबू मोहम्मद अल-जुलानी (जिसे अल-गोलानी या अल-जुलानी भी कहा जाता है) के नाम से जाना जाता था. वह एक संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित और अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी था.

पिछले दो दशकों में अल-जुलानी अल कायदा और ISIS जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों में प्रमुख पदों पर रहा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC की 'ISIS और अल कायदा प्रतिबंध समिति' के अनुसार, जुलाई 2013 में, अबू मोहम्मद अल-जुलानी को "आतंकवादी कामों के वित्तपोषण, योजना बनाने, सुविधा प्रदान करने, तैयारी करने या अंजाम देने में भाग लेने" के लिए वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया था.

वैश्विक आतंकवादी से लेकर सीरिया के राष्ट्रपति बनने तक

UNSC की इस प्रतिबंध समिति के अनुसार, अल-जुलानी को "हथियारों की सप्लाई, बेचने या ट्रांसफर" के साथ-साथ अल कायदा और ISIS के लिए "भर्ती" के लिए भी दोषी ठहराया गया था. पाया गया कि उसने उस समय के अल कायदा प्रमुख ऐमन अल-जवाहिरी और बाद में तात्कालिक ISIS प्रमुख अबू बक्र अल-बगदादी के साथ सीधे समन्वय (कॉर्डिनेट) किया.

2011 में, जब सीरिया में रूस और ईरान समर्थित असद शासन के खिलाफ विद्रोह हुआ था, तब अबू बक्र अल-बगदादी ने अल-जुलानी को इराक और सीरिया में अल कायदा के लिए एक फ्रंट बनाने या तैयार करने का निर्देश दिया था.

2012 में, अल-जुलानी ने अल-नुसरा फ्रंट की स्थापना की, जिसे आधिकारिक तौर पर जबात फतह अल-शाम के नाम से जाना जाता है. यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूह है जो आधिकारिक तौर पर सीरिया में अल कायदा की शाखा बन गया. तब तक, सीरिया में विद्रोह, जो 2011 में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ था, तत्कालीन राष्ट्रपति बशर अल-असद की बाथिस्ट तानाशाही के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के साथ एक क्रांति में बदल गया था.

रूस और ईरान के समर्थन वाले असद शासन पर निशाना

2017 में, जबात फतह अल-शाम ने खुद को हयात तहरीर अल-शाम या HTS के रूप में री-ब्रांड किया. इसका मुख्य उद्देश्य बशर अल-असद के नेतृत्व वाले असद शासन को उखाड़ फेंकना और एक इस्लामी खलीफा स्थापित करना था.

इन सालों में, सीरिया में क्रांति एक पूर्ण गृहयुद्ध में बदलने से पहले एक सशस्त्र संघर्ष में बदल गई, और धीरे-धीरे पूरे देश में अपनी पकड़ बना रही थी. नवंबर 2024 में, अल-जुलानी के HTS के नेतृत्व में अचानक और बड़े पैमाने पर हमला किया. इससे असद शासन ने अपने सबसे मजबूत गढ़ वाले शहरों सहित बड़ी जमीन तेजी से खो दी.

8 दिसंबर, 2024 को बशर अल-असद रूस भाग गए और 53 सालों तक देश पर सख्ती से शासन करने के बाद असद शासन का पतन हो गया. मास्को भी सीरिया में बशर असद के बचाव में नहीं आ सका क्योंकि रूस की अधिकांश सेना यूक्रेनी मोर्चे पर लड़ाई लड़ रही थी. HTS प्रमुख अल-जुलानी ने अपनी जीत की घोषणा की, और जनवरी में उन्हें सीरिया का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्होंने आधिकारिक तौर पर अपना वर्तमान नाम अहमद अल-शरा कर लिया.

अमेरिका ने सीरिया में पहुंच बढ़ाई

अहमद अल-शरा के साथ डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर विवाद बढ़ने का दूसरा कारण यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने घोषणा कर दी है कि वह सीरिया पर लगाए गए सभी प्रतिबंध हटा रहे हैं, जो 1979 से लगे हुए हैं.

अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, "विभिन्न आतंकवादी समूहों को राजनीतिक और सैन्य समर्थन" देने के लिए देश को "आतंकवाद का राज्य प्रायोजक" नामित किए जाने के बाद 1979 में सीरिया और असद शासन पर प्रतिबंध लगाए गए थे. 2019 के अपडेट में कहा गया, "शासन ने हिज्बुल्लाह को हथियार और राजनीतिक समर्थन देना जारी रखा और ईरान को आतंकवादी संगठन को फिर से संगठित करने और वित्त पोषित करने की अनुमति देना जारी रखा."

सऊदी अरब और क्राउन प्रिंस MBS की भूमिका

तीसरा कारण जिसने दुनिया का ध्यान खींचा है, वह यह है कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ही राष्ट्रपति ट्रंप और राष्ट्रपति अल-शरा के बीच बैठक का सुझाव दिया और उसकी व्यवस्था की. बैठक के बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीकार किया कि सऊदी शाही ने आज लिए गए निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सभी प्रतिबंध हटाए जाने के अलावा, डोनाल्ड ट्रंप की बैठक और उसके बाद व्हाइट हाउस के एक बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका ने सीरिया में नए शासन को मान्यता दी है और उसे वैध बनाया है. दोनों राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "सीरिया अल-शरा के शासन में शांति का मौका पाने का हकदार है."

इसके बाद एक बंद कमरे में बैठक शुरू हुई, जिसके दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रपति अल-शरा को सीरियाई लोगों के लिए अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहित किया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने उनसे इजरायल के साथ अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने और सीरिया से सभी विदेशी आतंकवादियों को बाहर निकालने का भी आग्रह किया.

तुर्की का एंगल और खाड़ी से समर्थन

एशिया के लिए इस बैठक के महत्व का चौथा कारण यह था कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन उनकी बैठक के दौरान एक फोन कॉल पर डोनाल्ड ट्रंप और सीरिया के अल-शरा से जुड़े थे.

कई खाड़ी देशों ने भी सीरिया के नए शासन को अपना समर्थन दिया है. वो सीरिया के इस नए शासन को ईरान के जवाब के रूप में देख रहे हैं. तेहरान समर्थित असद अब इतिहास की किताबों तक ही सीमित है.

इजरायल की अमेरिका को चेतावनी

इजरायल अमेरिका द्वारा अहमद अल-शरा को सीरियाई राष्ट्रपति के रूप में मान्यता देने से खुश नहीं है. तेल अवीव ने वाशिंगटन को उसके आतंकी बैकग्राउंड के कारण नई सरकार को वैधता देने के प्रति आगाह किया है.

लेकिन प्रतिबंध हटने और इस ऐतिहासिक बैठक के साथ, मिडिल ईस्ट और पश्चिम एशिया में एक नए युग की शुरुआत हो गई है. अहमद अल-शरा का संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित वैश्विक आतंकवादी से सीरिया के नए राष्ट्रपति बनने तक, शायद भू-राजनीतिक इतिहास में सबसे आश्चर्यजनक बदलाव है. खासकर जब अमेरिका ने उसे मान्यता दे दी है.

सीरिया के विदेश मंत्रालय ने डोनाल्ड ट्रंप की आज की घोषणा को देश की यात्रा में एक "महत्वपूर्ण मोड़" बताया है. उनके विदेश कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "इन प्रतिबंधों को हटाने से सीरिया को सीरियाई लोगों के नेतृत्व में स्थिरता, आत्मनिर्भरता और सार्थक राष्ट्रीय पुनर्निर्माण को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर मिलता है."

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