नई दिल्ली को स्थायी तौर पर वाशिंगटन का रणनीतिक रक्षा साझेदार बनाने को लेकर कानून लाने वाले एक शीर्ष अमेरिकी सांसद ने अब कहा है कि अमेरिका भारत सहित दो अन्य देशों के साथ मिलकर चीन की ओर से पैदा किए जा रहे खतरों से मुकाबला करेगा. खुफिया मामलों पर सीनेट की स्थायी चयन समिति के अध्यक्ष डेमोक्रेटिक सीनेटर मार्क वॉर्नर ने कहा कि चीन की निगरानी के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ मिलकर काम करेगा.
वॉर्नर ने अमेरिका भारत सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ बातचीत में कहा कि चीन उसके देश में व्यापार कर रही अमेरिकी कंपनियों के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरा है और बौद्धिक संपदा (Intelligence Theft) की चोरी चिंता का बड़ा विषय है. सीनेट में इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष वॉर्नर ने कहा कि उन्होंने भारत को स्थायी रूप से रणनीतिक रक्षा साझेदार बनाने के लिए नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट (एनडीएए) में एक संशोधन का प्रस्ताव रखा था.
बीजिंग के साथ कारोबार कर रहे संगठनों के हर पहलू पर चीन की ओर से निगरानी रखने पर गंभीर चिंता जताते हुए वॉर्नर ने कहा कि अमेरिका चीन के खतरे से निपटने के लिए भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ काम करेगा. अमेरिका-भारत सुरक्षा परिषद में प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी रमेश कपूर ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए सभी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को अमेरिका वापस लाना ठीक होगा. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में श्रम के कारण लागत और ऐसे दूसरे मुद्दे हैं वहां चीन में मौजूद अमेरिकी कंपनियों को भारत ले जाना बेहतर होगा.
शिकागो के भारत बराय ने कहा कि चीन की अनुचित व्यापार प्रक्रियाओं के कारण अमेरिका और भारत में कई मध्यम और लघु इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को नुकसान हुआ है. कोटी कृष्णा ने कहा कि उन्होंने पहले चीन के साथ काफी कारोबार किया और उन्हें हमेशा अपना पैसा वापस मिलने को लेकर चिंता रहती थी और वह खुश हैं कि अब उन्होंने उस देश के साथ कारोबार बंद कर दिया है.
कृष्णा ने कहा कि अमेरिका और भारत के लिए लंबे समय तक चलने वाली रक्षा साझेदारी को स्थापित करने का यह सही वक्त है. उन्होंने सीनेटर से अनुरोध किया कि वे राबर्ट मुंडेज और दूसरे सीनेटरों के सहयोग से रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाने पर काम करें.
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