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This Article is From Feb 15, 2012

अमेरिका ने चीन के सामने उठाया मानवाधिकार का मुद्दा

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका के दौरे पर आए चीन के उप-राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने चीन में मानवाधिकारों की स्थिति का मुद्दा उठाया।

गौरतलब है कि अमेरिका ने मानवाधिकार का मुद्दा ऐसे समय उठाया है जब चीन को हाल ही में तिब्बती समुदाय की ओर से विरोध का सामना करना पड़ा था।

चीन के अगले संभावित राष्ट्रपति जिनपिंग का जोरदार स्वागत करने वाले ओबामा प्रशासन के अधिकारियों ने उनसे कहा कि अमेरिका कुछ क्षेत्रों में मानवाधिकारों की स्थिति में गिरावट और ‘‘कई अति विशिष्ट लोगों के कष्टों के प्रति’’ चिंतित है।

चीन के उप-राष्ट्रपति के सामने मानवाधिकार का मुद्दा तो खुद राष्ट्रपति ओबामा और उप-राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उठाया। इन नेताओं के बीच काफी लंबी बैठक हुई थी। जिनपिंग पांच दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर सोमवार को यहां आए हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की मेजबानी में जिनपिंग के लिए आयोजित भोज में बाइडेन ने कहा ‘‘जैसा कि राष्ट्रपति और मेरे साथ हुई बैठक में आपको बताया गया कि हम मानवाधिकारों के लिए वकालत को अपनी विदेश नीति का मूलभूत पहलू मानते हैं। हम इसे सभी समाजों की समृद्धि और स्थायित्व के लिए काफी अहम मानते हैं।’’

बाइडेन ने कहा ‘‘हम उन क्षेत्रों की चिंताजनक स्थिति और कई अति-विशिष्ट लोगों के कष्टों को लेकर हमेशा से स्पष्ट रहे हैं जहां हमारे नजरिए से हालात बिगड़े हैं। और हम आपके जवाब को सराहते हैं।’’ बाइडेन की टिप्पणी इसलिए अहम है क्योंकि बड़ी तादाद में तिब्बती-अमेरिकी और चीन के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने चीनी नेता जिनपिंग की अमेरिका यात्रा के खिलाफ लगातार दूसरे दिन व्हाइट-हाउस के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था।

बहरहाल, जिनपिंग ने कबूल किया कि सुधार की गुंजाइश है लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मानवाधिकारों के मुद्दे पर हमने काफी उपलब्धियां भी हासिल की हैं।

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