
- ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमलों की तुलना हिरोशिमा और नागासाकी से की.
- हिरोशिमा में 1945 में गिराए गए बम से 140,000 लोग मारे गए थे.
- अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी ने कहा कि ईरान पर हमलों ने परमाणु प्रोग्राम को बस कुछ महीनों के लिए ही पीछे धकेला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक बड़ा बयान दे डाला है. ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए हमलों की तुलना जापान के हीरोशिमा और नागासाकी शहरों पर हुए हमलों से कर डाली है. आपको बता दें कि जापान के इन दोनों शहरों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी परमाणु बमों का हमला झेला था. इन परमाणु हमलों का मकसद द्वितीय विश्व युद्ध को खत्म करना था. ये बम अमेरिका ने पर्ल हार्बर का बदला लेने के लिए गिराए थे.
'इससे युद्ध होता है खत्म'
नीदरलैंड की राजधानी हेग में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने यह बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, 'अगर आप हिरोशिमा को देखें या फिर नागासाकी की तरफ नजर दौड़ाएं तो आपको पता लगता है कि इससे भी युद्ध खत्म होता है.' ट्रंप का कहना था, 'इससे युद्ध का अंत अलग तरीके से हुआ लेकिन यह बहुत विनाशकारी था.' इसके साथ ही ट्रंप ने अपने उस दावे का बचाव भी किया कि बंकर-बस्टिंग बमों के प्रयोग से अमेरिका ने हमलों में ईरान की अंडरग्राउंड फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी को 'नष्ट' कर दिया.
क्या हुआ था हिरोशिमा में
6 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था. इससे जो ब्लास्ट हुआ उसमें 140,000 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं इस बम से इतना रेडिएशन हुआ के उसके असर से भी कई लोगों की मौत हो गई थी. तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त को एक अमेरिकी बॉम्बर ने नागासाकी पर प्लूटोनियम बम गिराया, जिससे लगभग 74,000 लोगों की मौत हो गई थी.
अमेरिकी मीडिया की मानें तो क्लासीफाइड इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स की मानें तो ईरान पर अमेरिकी हमलों ने उसके परमाणु प्रोग्राम को नष्ट नहीं किया है बल्कि इसे सिर्फ कुछ महीनों के लिए पीछे धकेल दिया है. इस रिपोर्ट को ट्रंप ने 'फेक न्यूज' करार देकर खारिज कर दिया. ईरान पर हमलों के बाद, ट्रंप ने घोषणा की कि उन्होंने ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर करा दिया है और 12-दिनों से जारी युद्ध को रोका जा सके.
ईरान ने कबूला सच
संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने फोर्डो साइट के बारे में कहा कि हालांकि आईएईए समेत कोई भी फोर्डो में भूमिगत क्षति का पूरी तरह से आकलन करने की स्थिति में नहीं है लेकिन इसके 'बहुत महत्वपूर्ण' होने की उम्मीद है. दूसरी ओर ईरान के विदेश मंत्रालय की तरफ से यह बात मान ली गई है कि अमेरिकी हमलों में उसके परमाणु ठिकानों को खासा नुकसान हुआ है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई की तरफ से बुधवार को इसकी पुष्टि की गई है. हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया कि यह नुकसान कैसा है और किस हद का हुआ है.
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