वाशिंगटन:
ईरान के नए नेता हसन रुहानी की ओर से संदेश का इंतजार कर रहे राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि ईरानी प्रशासन परमाणु मुद्दे को ‘कूटनीतिक माध्यम’ के जरिये एक पारदर्शी तरीके से हल करेगा।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने कहा, इस मुद्दे को हल करने के लिए कूटनीतिक माध्यम के अवसर खुले होने की वजह से हम उम्मीद करते हैं कि ईरान इसके हल के लिए अब गंभीर है और एक पारदर्शी तथा सत्यापन योग्य तरीके से वह अपने परमाणु हथियारों की महत्वाकांक्षा त्यागने और इसके बाद अन्य देशों के समुदाय में शामिल होने के लिए तैयार है। कार्नी ने कहा कि इस्राइल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर उसके द्वारा दिए गए अपने हर हालिया बयान पर संदेह जताने का अधिकार है, क्योंकि लंबे समय तक ईरान अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का निर्वाह करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा, परमाणु हथियारों के कार्यक्रम को बंद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से की जा रही मांगों को वह नजरअंदाज करता रहा है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कोई अलग तरह की बात नहीं की है। कार्नी ने कहा, राष्ट्रपति की नीतियों, उनके द्वारा अपनाए गए रुख, ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के लिए की गई कूटनीतिक तैयारी और इन प्रतिबंधों के ईरान पर पड़े प्रभावों के कारण हम यहां तक पहुंचे हैं। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा, ईरानी नेताओं ने माना है कि इन प्रतिबंधों का उनकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। दुनियाभर के कई देशों ने इस प्रतिबंध व्यवस्था में भागीदारी की। इनमें से कुछ ने तो खुद भी हानि उठाई क्योंकि वे सब इस बात पर सहमत हैं कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने चाहिए।
ईरान की नई सरकार द्वारा इस समस्या को हल करने की बात कहने और इसके लिए संकेत देने पर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके लिए कूटनीतिक विकल्पों की तलाश कर रहा है। कार्नी ने कहा कि ईरान के साथ सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस) व जर्मनी यानी ‘‘पी 5 प्लस 1’’ की एक और बैठक होगी। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय संघ के कड़े प्रतिबंधों का सामना कर रहे तेहरान पर नए प्रतिबंध लगाने के बारे में अमेरिकी कांग्रेस में बहस चल रही है। इस संदर्भ में एक बैठक 15 और 16 अक्तूबर का जेनेवा में होगी।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने कहा, इस मुद्दे को हल करने के लिए कूटनीतिक माध्यम के अवसर खुले होने की वजह से हम उम्मीद करते हैं कि ईरान इसके हल के लिए अब गंभीर है और एक पारदर्शी तथा सत्यापन योग्य तरीके से वह अपने परमाणु हथियारों की महत्वाकांक्षा त्यागने और इसके बाद अन्य देशों के समुदाय में शामिल होने के लिए तैयार है। कार्नी ने कहा कि इस्राइल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर उसके द्वारा दिए गए अपने हर हालिया बयान पर संदेह जताने का अधिकार है, क्योंकि लंबे समय तक ईरान अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का निर्वाह करने में विफल रहा है। उन्होंने कहा, परमाणु हथियारों के कार्यक्रम को बंद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से की जा रही मांगों को वह नजरअंदाज करता रहा है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कोई अलग तरह की बात नहीं की है। कार्नी ने कहा, राष्ट्रपति की नीतियों, उनके द्वारा अपनाए गए रुख, ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के लिए की गई कूटनीतिक तैयारी और इन प्रतिबंधों के ईरान पर पड़े प्रभावों के कारण हम यहां तक पहुंचे हैं। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा, ईरानी नेताओं ने माना है कि इन प्रतिबंधों का उनकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। दुनियाभर के कई देशों ने इस प्रतिबंध व्यवस्था में भागीदारी की। इनमें से कुछ ने तो खुद भी हानि उठाई क्योंकि वे सब इस बात पर सहमत हैं कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने चाहिए।
ईरान की नई सरकार द्वारा इस समस्या को हल करने की बात कहने और इसके लिए संकेत देने पर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके लिए कूटनीतिक विकल्पों की तलाश कर रहा है। कार्नी ने कहा कि ईरान के साथ सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस) व जर्मनी यानी ‘‘पी 5 प्लस 1’’ की एक और बैठक होगी। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय संघ के कड़े प्रतिबंधों का सामना कर रहे तेहरान पर नए प्रतिबंध लगाने के बारे में अमेरिकी कांग्रेस में बहस चल रही है। इस संदर्भ में एक बैठक 15 और 16 अक्तूबर का जेनेवा में होगी।
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