
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाए गए 50 पर्सेंट टैरिफ को लेकर अमेरिकी प्रशासन के अंदर ही मतभेद सामने आने लगे हैं. ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके जॉन बोल्टन ने इस कदम को अमेरिका के लिए एक "ऐतिहासिक गलती" करार दिया है, जो दशकों में भारत से बने रणनीतिक संबंधों को खतरे में डाल सकती है.
'भारत से दशकों के संबंध खटाई में पड़ जाएंगे'
बोल्टन ने सीएनएन पर इंटरव्यू में कहा कि ट्रंप प्रशासन जिस तरह से भारत और चीन के साथ अलग-अलग बर्ताव कर रहा है, वह हैरान करने वाला है. उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस भारत की तुलना में चीन के प्रति ज्यादा उदार दिख रहा है. अगर वाकई ऐसा है तो यह एक बहुत बड़ी गलती होगी. अमेरिका और भारत ने दशकों के प्रयास से काफी अच्छे संबंध बनाए हैं. लेकिन ट्रंप की यह नीति दशकों की अमेरिकी कोशिशों को खतरे में डाल रही है.
'रूस-चीन के करीब जा सकता है भारत'
उन्होंने कहा कि अमेरिकी नीतियों का मकसद भारत को रूस और चीन से दूर करना होना चाहिए ताकि वह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने में अमेरिका का साथ दे सके. लेकिन ट्रंप ने भले ही ये कदम रूस को चोट पहुंचाने के इरादे से उठाया हो, लेकिन इसका उल्टा असर हो सकता है और भारत रूस और चीन के और करीब जा सकता है
बॉस ने कह दिया है... ट्रंप के एडवाइजर बोले
सीएनएन की रिपोर्टर ने ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो से एक इंटरव्यू में सीधे पूछा कि चीन भारत से ज्यादा रूसी तेल खरीदता है, फिर भी उस पर कोई नया टैरिफ नहीं लगाया गया, वहीं भारत पर टैरिफ दोगुना कर दिया गया है, क्यों? इस पर नवारो का जबाव सुनने लायक है. उन्होंने सीधा जवाब देने के बजाय कहा, "बॉस ने कह दिया है, अब देखते हैं क्या होता है."
नवारो ने दावा किया कि चीन पर पहले से ही 50% से अधिक टैरिफ लगे हुए हैं. हालांकि उन्होंने संकेत दिया कि चीन पर रूसी तेल खरीदने के लिए और ज्यादा टैरिफ लगाए जा सकते हैं. लेकिन इस कवायद में अमेरिका देखेगा कि उसके हितों को नुकसान नहीं होना चाहिए.
'बड़ी गलती कर रहे हैं ट्रंप'
सीएनएन की रिपोर्ट ने जब ये वीडियो पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन को दिखाया तो उन्होंने प्रतिक्रिया में कहा कि नवारो का जवाब ही इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि ट्रंप प्रशासन एक बहुत बड़ी गलती कर रहा है. अमेरिका भारत को नाराज कर रहा है और यह धारणा बन रही है कि ट्रंप चीन के प्रति ज्यादा नरम हैं.
उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा काफी ज्यादा है, भारत के साथ ऐसा नहीं है. इसके अलावा चीन बौद्धिक संपदा की चोरी जैसे अनुचित व्यापारिक तरीके भी अपनाता है. अपने देश में सामान नहीं बेचने देता है. फिर भी उसके साथ ट्रंप की नरमी चौंकाने वाली है.
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