- अमेरिका के अर्थशास्त्री डेव ब्रैट ने H-1B वीजा प्रोग्राम में चेन्नई को कहीं अधिक वीजा मिलने का आरोप लगाया है
- भारत के लिए निर्धारित H-1B वीजा सीमा 85,000 है जबकि चेन्नई को अकेले 220,000 वीजा मिलने का दावा किया गया है
- चेन्नई वाणिज्य दूतावास तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना के आवेदन प्रक्रियाओं का मुख्य केंद्र है
अमेरिका का H-1B वीजा प्रोग्राम एक बार फिर सवालों के घेरे में है. वजह है कि अमेरिका के एक अर्थशास्त्री ने इस सिस्टम में फ्रॉड का आरोप लगाया. उसने दावा किया है कि अकेले चेन्नई को पूरे भारत के लिए स्वीकृत वीजा की कुल संख्या से दोगुने से अधिक वीजा प्राप्त हुए हैं. पूर्व अमेरिकी सांसद और अर्थशास्त्री डेव ब्रैट ने दावा किया है कि भारत के लिए H-1बी वीजा जारी करने की सीमा 85,000 है लेकिन अकेले चेन्नई को 220,000 वीजा मिले हैं. यानी भारत के लिए जो सीमा है, उससे 2.5 गुना अधिक वीजा तो केवल चेन्नई के लिए जारी किए गए हैं.
एक पॉडकास्ट पर बोलते हुए ब्रैट ने दावा किया कि H-1B सिस्टम को "औद्योगिक पैमाने पर फ्रॉड द्वारा कब्जा कर लिया गया है." उन्होंने कहा कि जो वीजा आवंटित किया गया है वो वैधानिक सीमा से कहीं अधिक था.
चेन्नई का वाणिज्य दूतावास दुनिया के सबसे बिजी H-1B प्रोसेसिंग सेंटर में से एक है. यहां तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना से आए एप्लीकेशन को प्रोसेस किया जाता है. अब ब्रैट ने इस मुद्दे को MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) के इमिग्रेशन विरोधी एजेंडे से जोड़ा है और इसे अमेरिकी वर्कर्स के लिए खतरे के रूप में पेश किया.
उन्होंने कहा, "जब मैं H-1B वीजा के बारे में बात करता हूं, तो आपको अपने चचेरे भाई-बहनों, चाचा-चाची और दादा-दादी के बारे में सोचना चाहिए. इनमें से एक व्यक्ति आता है और दावा करता है कि वो कुशल है; लेकिन वे (अमेरिकी लोग) नहीं हैं. यह धोखाधड़ी है. उन्होंने बस आपके परिवार की नौकरी, आपका घर और वह सब छीन लिया."