भोपाल गैस कांड में हुई तीन हजार से ज्यादा मौतों के जिम्मेदार माने जाने वाले वॉरेन एंडरसन की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एंडरसन की मौत 29 सितंबर को फ्लोरिडा के एक नर्सिंग होम में हुई थी, लेकिन उनके परिवार ने काफी समय तक मौत की घोषणा नहीं की।
गौरतलब है कि 2 दिसंबर 1984 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। वॉरेन एंडरसन तब यूनियन कार्बाइड के प्रमुख थे। उन्हें हादसे के बाद गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन मामूली जुर्माना अदा करने के कुछ ही घंटों बाद उन्हें छोड़ दिया गया था। इसके बाद से भारत सरकार ने उन्हें अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित करने की काफी कोशिशें कीं, लेकिन कभी कामयाबी नहीं मिल पाई। एक मामले के दौरान कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा तक घोषित कर दिया था। ब्रूकलेन के बढ़ई के बेटे एंडरसन ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के शीर्ष पद तक का सफर तय किया था।
भोपाल त्रासदी की शुरुआत 2-3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को उस समय हुई, जब कीटनाशी बनाने वाले संयंत्र में एक रासायनिक अभिक्रिया के चलते जहरीली गैसों का रिसाव हो गया, जो कि आसपास फैल गई। मध्य प्रदेश सरकार ने इसके कारण कुल 3,787 मौतों की पुष्टि की थी। गैर सरकारी आकलन का कहना है कि मौतों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा थी।
पांच लाख से ज्यादा लोग घायल हो गए थे, बहुतों की मौत फेफड़ों के कैंसर, किडनी फेल हो जाने और लीवर से जुड़ी बीमारी के चलते हुई।
वर्ष 1989 में, यूनियन कार्बाइड ने भारत सरकार को इस आपदा के कारण शुरू हुए मुकदमे के निपटान के लिए 47 करोड़ डॉलर दिए थे।
द टाइम्स ने कहा, अमेरिकी सरकार के समर्थन के चलते वह प्रत्यर्पण से बच गए। वह वीरो बीच, ग्रीनविच, कनेक्टिकट और न्यूयॉर्क के ब्रिजहैंप्टन स्थित अपने घरों को बारी-बारी बदलते हुए और चुपचाप रहते हुए विभिन्न दीवानी मामलों में जारी समनों से चालाकी के साथ बचते रहे।
(इनपुट्स भाषा से भी)
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