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This Article is From Sep 07, 2022

UN ने Sri Lanka Economic Crisis के कारणों पर Report की जारी...इन अपराधों की सजा ना होना बना बड़ी वजह

यह पहली बार है कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के शीर्ष निकाय ने आर्थिक संकट (Economic Crisis) को श्रीलंका (Sri Lanka) के मानवाधिकार उल्लंघन से जोड़ा है.

UN ने Sri Lanka Economic Crisis के कारणों पर Report की जारी...इन अपराधों की सजा ना होना बना बड़ी वजह
श्रीलंका 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है (File Photo)
कोलंबो:

संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका (Sri Lanka) एक ‘‘विनाशकारी'' आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.  यहां अतीत एवं वर्तमान में मानवाधिकार हनन (Human Right Violations)  , आर्थिक अपराध (Economic Crime) और भ्रष्टाचार (Corruption) के लिए ‘‘दंड मुक्ति'' द्वीपीय देश की खराब स्थिति के कारण हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई. इस रिपोर्ट में मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने और अतीत के मानवाधिकारों के उल्लंघन की पुनरावृत्ति से बचने के लिए मौलिक परिवर्तनों का भी सुझाव दिया गया है.

यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र से पहले आयी है जिसका आयोजन 12 सितंबर से 7 अक्टूबर तक जिनेवा में होना है. उक्त सत्र में श्रीलंका पर एक प्रस्ताव पेश किए जाने की उम्मीद है.

यह पहली बार है कि संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय ने आर्थिक संकट को श्रीलंका के मानवाधिकार उल्लंघन से जोड़ा है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘श्रीलंका को स्थायी सुधार के लिए उन अंतर्निहित कारकों को दूर करने के वास्ते पहचानना और उन्हें संबोधित करना जरूरी है जो इस संकट के लिए जिम्मेदार हैं. इनमें अतीत और वर्तमान मानवाधिकारों के हनन, आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार के लिए अंतर्निहित दंडमुक्ति शामिल हैं.''

इसमें कहा गया है कि जवाबदेही और लोकतांत्रिक सुधारों के लिए श्रीलंका के सभी समुदायों के लोगों की व्यापक मांगों ने ‘‘भविष्य की एक नयी राह और आम दृष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु'' प्रस्तुत किया.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मौजूदा चुनौतियों से निपटने और अतीत के मानवाधिकारों के उल्लंघन की पुनरावृत्ति से बचने के लिए मौलिक परिवर्तनों की आवश्यकता होगी.''

श्रीलंका 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जो विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण उत्पन्न हुआ.

श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने गत सोमवार को कहा था कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के शुरू होने वाले सत्र में श्रीलंका अपनी मानवाधिकार जवाबदेही पर एक नये प्रस्ताव, विशेष रूप से एक बाहरी जांच तंत्र का विरोध करेगा.

साबरी ने कहा था कि श्रीलंका मानवाधिकारों के हनन की जांच के लिए एक बाहरी तंत्र के लिए सहमत नहीं है, क्योंकि यह देश के संविधान का उल्लंघन होगा.

साबरी ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 51वें सत्र के आयोजन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून मंत्री विजयदासा राजपक्षे सत्रों में सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम मानवाधिकार आयोग के जांच तंत्र का विरोध करेंगे, क्योंकि यह हमारे संविधान के खिलाफ है.''

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त द्वारा बुधवार को श्रीलंका पर अपनी रिपोर्ट जारी करने की उम्मीद है, जिसमें 2021 के एचआरसी संकल्प संख्या 46/1 के तहत जवाबदेही के विकल्प शामिल हैं.

श्रीलंका पर एक संभावित मसौदा प्रस्ताव 23 सितंबर को पेश किए जाने की उम्मीद है. इसके बाद 6 अक्टूबर को नये मसौदा प्रस्ताव पर सदस्य देशों के बीच मतदान होगा.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ने 2013 से युद्ध अपराधों के लिए मानवाधिकारों की जवाबदेही का आह्वान करते हुए कई प्रस्ताव पारित किये हैं, जिसमें आरोप सरकारी सैनिकों और लिट्टे समूह पर है.

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