रूस (Russia) से तेल खरीदने (Oil Purchase) के मामले पर जर्मनी (Germany) भारत (India) को "नसीहत" देने की इच्छा नहीं रखता है. दिल्ली में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनेर (Walter J Lindner) ने सोमवार को NDTV से यह कहा. उन्होंने कहा कि जो कोई भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) तक पहुंच सकता है वो यूक्रेन में युद्ध समाप्त करवाने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा,"इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यूरोप के कई देश रूस के तेल और कोयले पर निर्भर हैं. हमें नहीं पता था पुतिन एक दिन एक पड़ौसी देश पर हमला कर देंगे. हम पहले ही रूस से आयात कई गुणा घटा चुके हैं. हम इस साल के अंत में रूसी तेल पर निर्भरता पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं."
जब उनसे युद्ध के दौरान भारत के रूसी तेल खरीदने के बारे में पूछा गया तो श्री लिलंडनेर ने कहा," हर देश का अपना इतिहास होता है. अपनी निर्भरताएं होती हैं. इसमें कोई नसीहत नहीं है. हमने प्रतिबंध लगाए हैं और अगर उनसे युद्ध रुक सकता है तो हम उनका उपयोग करेंगे."
वहीं रूस से दूरी बनाने के दबाव को नज़रअंदाज़ करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत राष्ट्रहित में सस्ता रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा. ऊर्जा सुरक्षा भारत के लिए सबसे पहले है.
CNBC-TV18 चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था," हमने खरीदना शुरू कर दिया है. हमें कई बैरल मिले हैं. मुझे लगता है कि करीब तीन-चार दिन की सप्लाई होगी, और ये जारी रहेगा.
तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, सरकारी तेल कंपनियां भारत में रूस का तेल खरीद रही हैं जो यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. भारत अगले तीन से चार महीनों को लिए कॉन्ट्रैक्ट पर तेल डिलीवरी लेने का इंतजाम किया है.
रूस भारत को पहले से भी अधिक सस्ती दरों पर तेल बेच रहा है और करीब $35 प्रति बैरल का डिस्काउंट दे रहा है.
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