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This Article is From Mar 10, 2022

Ukraine के Sumy से बचाए गए 600 Indian Students पहुंचे पोलैंड, जल्द हो सकती है भारत वापसी

Ukraine War: यूक्रेन के सुमी (Sumy) से भारी मुश्किलों के बाद भारतीय छात्रों (Indian Students) को निकाला जा सका. भारत सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान चला रही है.

Ukraine के Sumy से बचाए गए 600 Indian Students पहुंचे पोलैंड, जल्द हो सकती है भारत वापसी
Ukraine War: Sumy में फंसे Indian Students को आखिरकार यूक्रेन से निकाला जा सका है

रूस (Russia) के भयंकर हमले (War) झेल रहे यूक्रेन (Ukraine) के उत्तरपूर्वी सूमी (Sumy) शहर से निकाले गए 600 भारतीय छात्रों (Indian Students) का आखिरी बड़ा समूह पोलैंड (Poland) पहुंच गया है. छात्र लवीव (Lviv) से पोलैंड के लिए एक विशेष ट्रेन में सवार हुए. उनके बृहस्पतिवार को भारत के लिए उड़ानों में सवार होने की संभावना है. छात्र एक विशेष ट्रेन से पोल्तावा से पश्चिमी यूक्रेन में लवीव पहुंचे थे. मेडिकल की 25 वर्षीय छात्रा जिस्ना जिजी ने कहा, ‘‘हम पोलैंड पहुंच गए हैं, यहां से हमारे भारत के लिए उड़ान भरने की संभावना है.''

यूक्रेन में परिवहन के विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल कर सैकड़ों मील की दूर तय करके छात्रों को युद्धग्रस्त यूरोपीय देश से निकाला जा रहा है. भारत सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा' अभियान चला रही है.

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सूमी में यह अभियान मंगलवार सुबह शुरू हुआ जब 600 भारतीयों के आखिरी बड़े समूह को शहर से निकाला गया.

एक छात्र संयोजक अनशाद अली ने बताया कि ‘इंटरनेशल कमिटी ऑफ रेड क्रॉस' की मदद से भारतीय नागरिकों को 13 बसों के काफिले में सूमी से ले जाया गया.

उन्हें सूमी से निकालने का यह दूसरा प्रयास था. पिछले महीने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से सूमी में भारी गोलाबारी हो रही है.

यूक्रेन की रूस से लगते उत्तर-पूर्वी इलाके सुमी में भारतीय छात्र फंसे हुए थे. यहां रेलवे लाइनें एयर स्ट्राइक के कारण टूट गई थीं और छात्र अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित थे. इस बीच छात्रों के पास खाने-पीने का सामान ख़त्म होता जा रहा था. भारी गोलाबारी के बाद नलों में पानी आना बंद हो गया था.

छात्रों के लिए पीने के पानी की भी दिक्कत हो रही थी. ऐसे में मेडिकल के छात्रों ने बाहर गिर रही बर्फ जमा कर पीने के पानी का इंतजाम करना शुरु कर दिया था. कई दिनों बाद भी मदद ना मिल पाने पर उनका सब्र टूटता जा रहा था. सुमी में फंसे छात्रों ने बताया था कि अगर छात्र अपने आप निकलना चाहें तो उनके पास पैसा नहीं है और बाहर एटीएम में कैश नहीं है. सुमी में मौजूद छात्रों तक अभी कोई मदद नहीं पहुंच पाई है.

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सुमी के एक दूसरे हॉस्टल में फंसे एक छात्र मेहताब ने कहा था, "हम अभी तक यहां फंसे हुए हैं" उन्हीं के साथ खड़े ओडीशा के गौरी शंकर परीधा ने बताया था कि फरवरी में यहां रूसी सेना ने अटैक किया था और तब से वो भारतीय दूतावास की ओर से मदद का इंतजार कर रहे हैं."

वहीं छत्तीसगढ़ के अहमद शेख रज़ा कहा था," यहां बाहर बहुत खतरनाक माहौल है. हमारी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. बाहर निकले तो पता चला कि हर छत पर स्नाइपर गन तैनात है. बहुत डर लगता है." 

यूक्रेन के सुमी में फंस गए हरियाणा के सिद्धार्थ गर्ग ने कहा था," यहां हर आधा घंटे में लगभग बमबारी की आवाज आती है और सायरन की आवाज़ से अफरातफरी मच जाती है."

सुमी स्टेट मेडिकल यूनिवर्टिटी की सुमन बंगलुरू से हैं, सुमन को तीन महीने बाद मेडिकल की डिग्री मिलनी थी लेकिन युद्ध के बीच उनकी सबसे बड़ी चिंता यही है कि अब उनकी डिग्री का क्या होगा?

सुमी में फंसे छात्रों ने बार-बार अपील की थी कि उन्हें जल्द से जल्द सुमी से निकाला जाए. 
 

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