यूक्रेन पर हमले के बाद रूस वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है. रूस अब अपना ऊर्जा व्यापार जारी रखने के लिए नए सहयोगियों की तलाश कर रहा है और पुरानी साझेदारियों को मज़बूत करना चाह रहा है. राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से गुरुवार को फोन पर बात की. रूस की अर्थव्यथा पर पश्चिमी देशों के सख़्त प्रतिबंध लगाए जाने के बाद रूस की तरफ से इस अहम भूराजनैतिक साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है.
ब्लूमबर्ग के अनुसार यूक्रेन पर आक्रमण कर रूस कई दशकों में सबसे अधिक आर्थिक तौर से अलग-थलग पड़ गया है. पुतिन के फैसले के बाद रूस के कई बैंकों को वैश्विक फाइनेंस सिस्टम से काट दिया गया है और व्यापारी इनके तेल के टैंकरों की देख-रेख से मना कर रहे हैं.
OPEC+ देशों की अगुवाई सउदी अरब और रूस करते आए हैं. बुधवार को हुई OPEC की बैठक में यूक्रेन के मुद्दे को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया. लेकिन पर्दे के पीछे तेल के दामों को कम करने के लिए प्रोडक्शन बढ़ाने का दबाव भी है. अगर तेल के दामों को सऊदी कम करता है तो रूस और सऊदी अरब के बीच तनाव शायद बढ़ सकता है.
रूसी संसद की ओर जसे जारी बयान के मुताबिक, "पुतिन ने जोर देकर वैश्विक ऊर्जा सप्लाई के मामले के राजनीतिकरण को अस्वीकार्य बताया." साथ ही कहा गया कि "चर्चा में रूसी-सऊदी सहयोग के व्यापक विकास को आपसी हित के लिए बेहतर बताया गया."
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