यूएई में पीए मोदी
अबू धाबी:
आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, भारत में अपने निवेश को समर्पित आधारभूत संरचना कोष के जरिये बढ़ाकर 75 अरब डॉलर यानी 5 लाख करोड़ रुपये तक करने पर सोमवार को सहमत हुआ। दोनों देश अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 60 प्रतिशत बढ़ाने को भी राज़ी हुए।
दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में सामरिक साझेदारी के लिए सहमत हुए। इस साझेदारी के तहत यूएई, भारत में पेट्रोलियम क्षेत्र में शामिल होगा और इसके लिए तीसरे देशों से भी गठजोड़ करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के शहजादे मोहम्मद बिन जायेद अल नह्यान ने भारत-यूएई संबंधों को व्यापक सामरिक साझेदारी में बदलने का निर्णय किया। साथ ही दोनों नेता यूएई में ढांचागत विकास में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को सुगम बनाने के लिए भी सहमत हुए।
दोनों नेताओं के बीच बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देश ‘‘आपसी व्यापार को और प्रोत्साहित करेंगे और इसके लिए अपने क्षेत्रों और उसके बाहर भी सहयोग करेंगे।’’ अगले पांच वर्ष में द्विपक्षीय व्यापार में 60 प्रतिशत के वृद्धि के लक्ष्य के साथ दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग को विस्तार देने का निर्णय किया है।
उल्लेखनीय है कि 1970 के दशक में दोनों देशों के बीच 18 करोड़ डॉलर का सालाना कारोबार होता था जो अब बढ़कर 60 अरब डॉलर हो गया है। वर्ष 2014-15 में चीन और अमेरिका के बाद यूएई, भारत का तीसरा सबसे बढ़ा व्यापारिक साझेदार है।
यूएई ने भारत द्वारा व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में नई पहल किए जाने के चलते इसे निवेश के नए अवसरों वाला देश स्वीकार किया और दोनों देशों ने यूएई की निवेश संस्थाओं द्वारा भारत में उनके निवेश को बढ़ाने को प्रोत्साहित करने का निर्णय किया।
इसके लिए यूएई-भारत ढांचागत कोष का गठन होगा जिसका लक्ष्य इसे 75 अरब डॉलर तक करने का रखा गया है। संयुक्त बयान के अनुसार, इससे भारत में रेलवे, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डा, औद्योगिक गलियारे और पार्क जैसी नयी पीढ़ी की आधारभूत संरचना को तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इससे पहले मोदी ने आज यूएई के शीर्ष कारोबारी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में अभी एक हजार अरब डॉलर के निवेश की क्षमता है और उन्होंने यूएई के निवेशकों को भारत में निवेश करने का न्यौता दिया।
इसके अलावा यूएई छोटे और मध्यम उद्यमों में भारत की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करेगा जिससे कि यूएई में विविधतपूर्ण औद्योगिक आधार तैयार हो सके। इससे भारतीय उद्यमों को भी लाभ होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के शहजादे मोहम्मद बिन जायेद अल नह्यान ऊर्जा क्षेत्र में सामरिक साझेदारी को बढ़ाने पर सहमत हुए। इसमें यूएई द्वारा भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार का विकास, पेट्रोलियम एवं गैस खनन, शोधन एवं उनके विपणन तथा तीसरे देशों में आपसी सहयोग शामिल है।
संयुक्त बयान के अनुसार, यूएई की अत्याधुनिक शैक्षणिक संस्थाओं और भारतीय विश्वविद्यालयों एवं उच्चतर अनुसंधान संस्थाओं के बीच सहयोग को मजबूत किया जाएगा। दोनों पक्ष वैज्ञानिक क्षेत्र में सहयोग करेंगे जिसमें नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, सतत विकास, कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कृषि, मरूस्थल पारिस्थितिकी, शहरी विकास और अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवा वाले क्षेत्र शामिल हैं।
इससे पहले आज मोदी ने कहा कि यूएई के निवेशकों के लिए भारत में आधारभूत संरचना, ऊर्जा और रियल एस्टेट क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में सामरिक साझेदारी के लिए सहमत हुए। इस साझेदारी के तहत यूएई, भारत में पेट्रोलियम क्षेत्र में शामिल होगा और इसके लिए तीसरे देशों से भी गठजोड़ करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के शहजादे मोहम्मद बिन जायेद अल नह्यान ने भारत-यूएई संबंधों को व्यापक सामरिक साझेदारी में बदलने का निर्णय किया। साथ ही दोनों नेता यूएई में ढांचागत विकास में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को सुगम बनाने के लिए भी सहमत हुए।
दोनों नेताओं के बीच बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देश ‘‘आपसी व्यापार को और प्रोत्साहित करेंगे और इसके लिए अपने क्षेत्रों और उसके बाहर भी सहयोग करेंगे।’’ अगले पांच वर्ष में द्विपक्षीय व्यापार में 60 प्रतिशत के वृद्धि के लक्ष्य के साथ दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग को विस्तार देने का निर्णय किया है।
उल्लेखनीय है कि 1970 के दशक में दोनों देशों के बीच 18 करोड़ डॉलर का सालाना कारोबार होता था जो अब बढ़कर 60 अरब डॉलर हो गया है। वर्ष 2014-15 में चीन और अमेरिका के बाद यूएई, भारत का तीसरा सबसे बढ़ा व्यापारिक साझेदार है।
यूएई ने भारत द्वारा व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में नई पहल किए जाने के चलते इसे निवेश के नए अवसरों वाला देश स्वीकार किया और दोनों देशों ने यूएई की निवेश संस्थाओं द्वारा भारत में उनके निवेश को बढ़ाने को प्रोत्साहित करने का निर्णय किया।
इसके लिए यूएई-भारत ढांचागत कोष का गठन होगा जिसका लक्ष्य इसे 75 अरब डॉलर तक करने का रखा गया है। संयुक्त बयान के अनुसार, इससे भारत में रेलवे, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डा, औद्योगिक गलियारे और पार्क जैसी नयी पीढ़ी की आधारभूत संरचना को तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इससे पहले मोदी ने आज यूएई के शीर्ष कारोबारी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में अभी एक हजार अरब डॉलर के निवेश की क्षमता है और उन्होंने यूएई के निवेशकों को भारत में निवेश करने का न्यौता दिया।
इसके अलावा यूएई छोटे और मध्यम उद्यमों में भारत की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करेगा जिससे कि यूएई में विविधतपूर्ण औद्योगिक आधार तैयार हो सके। इससे भारतीय उद्यमों को भी लाभ होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के शहजादे मोहम्मद बिन जायेद अल नह्यान ऊर्जा क्षेत्र में सामरिक साझेदारी को बढ़ाने पर सहमत हुए। इसमें यूएई द्वारा भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार का विकास, पेट्रोलियम एवं गैस खनन, शोधन एवं उनके विपणन तथा तीसरे देशों में आपसी सहयोग शामिल है।
संयुक्त बयान के अनुसार, यूएई की अत्याधुनिक शैक्षणिक संस्थाओं और भारतीय विश्वविद्यालयों एवं उच्चतर अनुसंधान संस्थाओं के बीच सहयोग को मजबूत किया जाएगा। दोनों पक्ष वैज्ञानिक क्षेत्र में सहयोग करेंगे जिसमें नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, सतत विकास, कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कृषि, मरूस्थल पारिस्थितिकी, शहरी विकास और अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवा वाले क्षेत्र शामिल हैं।
इससे पहले आज मोदी ने कहा कि यूएई के निवेशकों के लिए भारत में आधारभूत संरचना, ऊर्जा और रियल एस्टेट क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
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