प्रतीकात्मक फोटो
ढाका:
बांग्लादेश में इस्लाम के खिलाफ ईशनिंदात्मक टिप्पणी करने के आरोप में दो हिन्दू शिक्षकों को छह महीने जेल की सजा सुनाई गई है। औपनिवेशिक कानून के तहत मुस्लिम बहुल देश में किसी भी धर्म का अपमान करना अपराध है।
खबरों और अधिकारियों के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम बागेरहाट में एक अदालत ने हिजला हाई स्कूल के दो शिक्षकों कृष्णपडा मौली और सहायक शिक्षक अशोक कुमार को एक टिप्पणी के लिए उन्हें छह माह कारावास की सजा सुनायी है। इस टिप्पणी से लोगों में नाराजगी थी। एक स्थानीय पत्रकार ने बताया, 'एक शिक्षक ने इस सप्ताह के शुरुआत में कक्षा के भीतर इस्लाम पर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.. उनकी टिप्पणी सार्वजनिक हो गई और आसपास के लोग इससे बहुत नाराज हो गए।'
टिप्पणी के खिलाफ छात्रों के पेरेंट्स ने किया प्रदर्शन
कुछ अभिभावकों ने जब टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन किया तो हिन्दू धर्म को मानने वाले स्कूल के प्रधानाध्यापक ने अपने सहकर्मी का साथ दिया। उन्होंने बताया, 'झड़प के बीच, एक समय तो लोगों ने दोनों शिक्षकों को स्कूल के भीतर ही बंद कर दिया।' पत्रकार ने बताया, 'सूचना मिलने पर यूएनओ (उपजिला के प्रशासन प्रमुख) और कार्यकारी मजिस्ट्रेट मौके पर पहुंचे तथा दोनों को मुक्त कराया। अधिकारियों ने वहीं मोबाइल कोर्ट का आयोजन कर दोनों शिक्षकों को सजा सुनाई।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
खबरों और अधिकारियों के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम बागेरहाट में एक अदालत ने हिजला हाई स्कूल के दो शिक्षकों कृष्णपडा मौली और सहायक शिक्षक अशोक कुमार को एक टिप्पणी के लिए उन्हें छह माह कारावास की सजा सुनायी है। इस टिप्पणी से लोगों में नाराजगी थी। एक स्थानीय पत्रकार ने बताया, 'एक शिक्षक ने इस सप्ताह के शुरुआत में कक्षा के भीतर इस्लाम पर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.. उनकी टिप्पणी सार्वजनिक हो गई और आसपास के लोग इससे बहुत नाराज हो गए।'
टिप्पणी के खिलाफ छात्रों के पेरेंट्स ने किया प्रदर्शन
कुछ अभिभावकों ने जब टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन किया तो हिन्दू धर्म को मानने वाले स्कूल के प्रधानाध्यापक ने अपने सहकर्मी का साथ दिया। उन्होंने बताया, 'झड़प के बीच, एक समय तो लोगों ने दोनों शिक्षकों को स्कूल के भीतर ही बंद कर दिया।' पत्रकार ने बताया, 'सूचना मिलने पर यूएनओ (उपजिला के प्रशासन प्रमुख) और कार्यकारी मजिस्ट्रेट मौके पर पहुंचे तथा दोनों को मुक्त कराया। अधिकारियों ने वहीं मोबाइल कोर्ट का आयोजन कर दोनों शिक्षकों को सजा सुनाई।'
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