तुर्किये के स्थानीय चुनाव में राष्ट्रपति एर्दोआन और उनकी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. राजधानी अंकारा और इंस्ताबुल जैसे मुख्य शहरों में हुए चुनाव में तुर्किये की मुख्य विपक्षी पार्टी सेंटर-लेफ़्ट रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (Center-left Republican People's Party) CHP ने बड़ी जीत हासिल की है. जबकि कुछ महीने पहले ही एर्दोआन ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी और तीसरी बार चुने गए. लेकिन इसके बावजूद बड़े शहरों के मेयर चुनाव में विपक्षी दल ने उनकी पार्टी को मात दे दी है. 2019 में इंस्ताबुल जीतने वाले सेकुलर विपक्ष के नेता इकरेम इमामोग्लु ने दूसरी बार जीत हासिल की है. इनको 50 फीसदी से अधिक वोट मिला और इन्होने राष्ट्रपति एर्दोआन की AK पार्टी के उम्मीदवार को लगभग दस लाख वोट से हरा दिया.
इस्तांबुल की हार को माना जा रहा है बड़ा झटका
इमामोग्लु ने 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने की कोशिश की थी लेकिन एर्दोआन सरकार ने उस पर रोक लगा दी. इमामोग्लु समर्थकों का मानना है कि ये राजनीतिक वजह से किया गया क्योंकि एर्दोआन को राष्ट्रपति चुनाव में हार का डर था. ख़ुद एर्दोआन का कहना रहा है कि जो इस्तांबुल जीतता है वह तुर्कीये जीतता है. इस्तांबुल में तुर्किये की 18 फ़ीसदी आबादी रहती है. ग़ौरतलब है कि एर्दोआन 2003 से 2014 तक पीएम रहने और फिर उसके बाद सीधे चुने गए पहले राष्ट्रपति के तौर पर तुर्किये की सत्ता संभालने से पहले 1994 से 1998 तक इस्तांबुल के मेयर थे.
अंकारा में भी विपक्षी दल ने जीता मेयर चुनाव
राजधानी अंकारा में भी विपक्षी दल ने मेयर चुनाव जीत लिया है. यहां से मंसूर यावस वोटों की आधी गिनती के समय ही 60 फ़ीसदी से अधिक अंतर से आगे हो गए थे. तुर्की के चौथे सबसे बड़े शहर बुसरा और उत्तर पश्चिम तुर्की के शहर बालिकेसिर में कामयाबी हासिल कर ली है. वहीं इज़मिरस, अदाना और अंतालिया जैसे शहर में अपनी जीत को बरक़रार रखा है. तुर्किये में एर्दोआन के 21 साल के शासनकाल में पहली बार ऐसा हुआ है कि वो देश के लगभग सभी बड़े शहरों में उनकी पार्टी की हार हुई है. हार के पीछे भारी महंगाई को एक बड़ी वजह माना जा रहा है. कई साल से तुर्की की आर्थिक स्थिति खस्ता है. शहरी चुनावों में मिली हार के बाद एर्दोआन ने कहा है कि जो कमियां रहीं हैं उनको दूर किया जाएगा.
2028 में ख़त्म होगा राष्ट्रपति का कार्यकाल
70 साल के एर्दोआन का राष्ट्रपति कार्यकाल 2028 में ख़त्म होगा. हालांकि आलोचक ये क़यास लगाते रहे हैं कि एर्दोआन संविधान में बदलाव के ज़रिए 2028 में फिर राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि विपक्षी पार्टी के हाथों स्थानीय चुनाव में मिली करारी हार के बाद एर्दोआन के लिए आगे फिर लोकप्रियता हासिल करना अलग चुनौती होगी. CHP के अध्यक्ष ओज़गुर ओज़ेल का कहना है कि तुर्की के लोगों ने रविवार के ऐतिहासिक चुनाव के ज़रिए यही संदेश दिया है कि वे देश में नया राजनीतिक वातावरण चाहते हैं.
ये भी पढ़ें:-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं