तुर्की और सीरिया (Tuekey-Syria Earthquake) में 6 फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप से अब तक 21,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. घायलों की संख्या भी 40 हजार के आस पास है. तुर्की में अब तक 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है. सीरिया में भूकंप से 3 हजार 162 लोग मारे गए हैं. इस बीच तुर्की के राष्ट्रपति रज़ब तैय्यप अर्दोआन (Recep Tayyip Erdogan) ने कहा कि वह भूकंप के बाद शुरुआती राहत पहुंचाने में नाकाम रहे. कई प्रांतों में भूकंप पीड़ितों का कहना है कि उनतक अभी तक मदद नहीं पहुंची है. भूकंप से कई रिहाइशी इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गई. ऐसे में बेघर हुए लोग कड़ाके की सर्दी और बर्फबारी में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. तुर्की से पढ़िए NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट....
सोमवार को तड़के तुर्की के गाज़ीआनटेप में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. इसके कुछ मिनट बाद केंद्रीय तुर्की में 7.5 तीव्रता का एक और भूकंप आया. इसके बाद कई बार ऑफ्टरशॉक महसूस किए गए. इस बीच नया आंकलन सामने आया कि इस विनाशकारी भूकंप ने तुर्की को करीब 10 फीट (5-6 मीटर) तक खिसका दिया है. इस आपदा में हज़ारों इमारतों को नुकसान पहुंचा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भूकंप से दो करोड़ 30 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.
तुर्की और सीरिया के ये प्रांत हो चुके बर्बाद
भूकंप के चलते तुर्की के अंटाक्या, सनलिउरफा और सीरिया का अलेप्पो शहर पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. यहां पानी और बिजली की सप्लाई भी बंद है. लोग शेल्टर होम्स में रहने को मजबूर हैं. यहां खाने की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं. एपिसेंटर वाले गाजियांटेप शहर के लोगों का कहना है कि तबाही के 12 घंटे बाद भी उन तक मदद नहीं पहुंची थी.
बर्फबारी और बारिश रेस्क्यू में हो रही दिक्कत
कड़ाके की ठंडी के बीच राहत और बचावकर्मी तेजी से मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहे हैं. लेकिन उनके हाथ से वक्त फिसलता जा रहा है. वहीं भूकंप के बाद सड़कों पर रहने को मजबूर हुए लोगों के सामने अब चुनौती ठंड झेलने की है. संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) का कहना कि बर्फबारी और बारिश के कारण भूकंप से प्रभावित दोनों ही देशों में बचाव कार्य पर असर पड़ रहा है. इमरजेंसी सर्विसेज की टीमों को रेस्क्यू में काफी दिक्कत हो रही है.
ड्रिल मशीन के जरिए अलग किया जा रहा मलबा
तुर्की का केहरामनमारस भूकंप का एपिसेंटर था. यहां रेस्क्यू टीम को मलबे से लोगों को निकालने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां मलबे में अभी भी कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका है, लेकिन रेस्क्यू टीम का कहना है कि भूकंप के 5 दिन बाद उनके बचने की उम्मीद कम है. ड्रिल मशीन के जरिए मलबे को अलग कर लोग तलाशे जा रहे हैं. गहरे मलबे में इंसान की धड़कन को आइडेंटिफाई करने वाली मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि अगर कोई जिंदा हो, तो उसे तुरंत बहार निकाला जा सके.
मदद के लिए आए आए 95 देश
इस प्राकृतिक आपदा में दुनिया भर के 95 देश तुर्की और सीरिया की मदद के लिए आगे आए हैं. भारत दोनों देशों में 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत मदद भेज रहा है. तुर्की में एक फील्ड अस्पताल का काम भी भारत ने शुरू कर दिया. वहीं, एनडीआरएफ की कई टीमों दोनों देशों में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भेजी गई हैं.
अमेरिका ने जारी किया राहत पैकेज
अमेरिका ने तुर्की और सीरिया में भूकंप प्रभावित इलाकों में मदद के लिए 85 मिलियन डॉलर यानी करीब 700 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है. वर्ल्ड बैंक ने भी 1 बिलियन डॉलर की मदद भेजने का ऐलान किया है.
जंग झेल रहे यूक्रेन ने भी बढ़ाया मदद का हाथ
रूस के साथ जंग का सामना कर रही यूक्रेन की स्टेट इमरजेंसी सर्विस ने भी तुर्की को मदद भेजी है. यूक्रेन ने तुर्की के अंटाक्या शहर में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए मदद भेजी है. यही नहीं, यूक्रेन ने मदद के लिए 87 लोगों के स्टाफ को भेजने की भी घोषणा की है.
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