एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर चिंता जताई है. इसमें चीन की तरफ से सैन्य बेस बनाया जाना भी शामिल है. अमेरिका में एशिया प्रशांत क्षेत्र को देखने वाले अमेरिका के असिस्टेंट सेक्रेट्री ऑफ डिफेंस , डॉ एली रैटनर ने कहा, "हमें केवल हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी से चिंता नहीं है बल्कि चिंता यह भी है कि वो इस मौजूदगी का क्या करेगा, उसकी नीयत क्या है." उन्होंने कहा, हमें पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीन) और उसकी सेना का एक पैटर्न दिख रहा है जैसा हमने दूसरे क्षेत्रों में देखा कि वो अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं मानते हैं, वो पारदर्शी नहीं है और विदेशों में सैन्य बेस बनाना चाहते हैं."
डॉ रैटनर की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कुछ हफ्ते पहले ही एनडीटीवी ने उन सैटलाइट तस्वीरों को जारी किया था जिसमें जिबूती में चीन का सैन्य बेस होने के संकेत मिले थे. यह सैन्य बेस पूरी तरह से चालू है यहां एक बड़ा युद्धपोत भी खड़ा है.
चीन ने हाल ही में एक सैटलाइट और मिसाइल ट्रैकिंग शिप युआन वांग 5 को भी तैनात किया था. विवादित तौर पर यह श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर खड़ा हुआ था. बीजिंग के पास हंबनटोटा की 99 साल की लीज है. श्रीलंका चीन का कर्ज नहीं चुका पा रहा है.युआन वांग 5 अब वापस लौट चुका है.
आगे उन्होंने कहा कि अमेरिका हिंद महासागर और क्षेत्र में सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और विश्वास करता है कि भारत और अमेरिका यहां हो रही गतिविधियों पर एक दूसरे के साथ सहयोग करते रहेंगे.
भारत और अमेरिका अहम रणनीतिक सहयोगी है और दोनों देशों की नौसेनाओं और वायुसेनाओं ने पिछले साल एक साथ अमेरिका के थियोडोर रुज़वेल्ट एयरक्राफ्ट करियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ पहली बार पनडुब्बी रोधी और हवाई लड़ाई का अभ्यास किया था.
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