विज्ञापन
This Article is From Aug 25, 2022

इस देश में आदिवासियों ने ब्रिटिश सरकार पर $200 Billion का किया मुकदमा, उपनिवेश काल की यातनाओं का मांगा हिसाब

ब्रिटिश सरकार के खिलाफ शिकायत करने वाले आदिवासियों का कहना है कि ब्रिटिश साम्राज्य के आखिरी दिनों में उन्हें उनकी उपजाऊ जमीन से प्रताड़ित कर जबरन निकाला गया ताकि वहां ब्रिटिश चाय उगा सकें. विरोध करने की सजा के तौर पर उन्हें मच्छरों, मख्खियों से भरी घाटी में रहने को मजबूर किया गया. इनके काटने से मौत, गर्भपात हुए और हमारे जानवरों का काफी नुकसान हुआ.

इस देश में आदिवासियों ने ब्रिटिश सरकार पर $200 Billion का किया मुकदमा, उपनिवेश काल की यातनाओं का मांगा हिसाब
Kenya में ब्रिटिश साम्राज्य में आदिवासियों को उनकी उपजाऊ जमीन से बेदखल कर दिया था

केन्या (Kenya) के दो आदिवासियों ने यूरोप (Europe) की मानवाधिकार अदालत (ECHR) में ब्रिटेन की सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मुकदमा  उपनिवेशकाल के दौरान हुई कथित ज्यादतियों के कारण किया गया है.  तलाई और किपसिगिस ने अपने मुकदमें में कहा है कि इन प्रताड़नाओं में चाय का उत्पादन करने वाली केरिचो की ज़मीन की चोरी भी शामिल है जो आज तक इस अफ्रीकी देश में चाय उत्पादक कंपनियों के नियंत्रण में है. आदिवासियों ने ब्रिटिश सरकार से $200 बिलियन के मुआवजे और अपराधों के लिए  माफी की मांग की है. आदिवासियों का दावा है कि ब्रिटिश सरकार ने इस मुद्दे को हल करने को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई जो कि यूरोप के मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है.  

मुकदमा दायर करने वालों में से एक जोएल किमुताई बोस्क ने ब्रिटेन के अखबार द टाइम्स से कहा, "ब्रिटिश सरकार हमेशा बच कर निकलने की कोशिश करती रही और दुख की बात यह है कि उन्होंने इस मामले की हर संभावना को टाला. हमारे पास अदालत में आने के अलावा और कोई चारा नहीं रहा ताकि इतिहास को सुधारा जा सके. "

इन आदिवासियों का कहना है कि ब्रिटिश साम्राज्य के आखिरी दिनों में उन्हें उनकी उपजाऊ जमीन से प्रताड़ित कर जबरन निकाला गया ताकि वहां ब्रिटिश चाय उगा सकें. शिकायतकर्ताओं ने आगे कहा कि विरोध करने की सजा के तौर पर उन्हें मच्छरों, मख्खियों से भरी घाटी में रहने को मजबूर किया गया. इनके काटने से मौत, गर्भपात हुए और हमारे जानवरों का काफी नुकसान हुआ. यह आदिवासी 1963 में आज़ादी के बाद केन्या लौट आए थे लेकिन चाय कंपनियों से अपनी जमीन लेने में नाकाम रहे.  

मेट्रो की रिपोर्ट कहती है कि, " आदिवासियों की कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, आज दुनिया की बड़ी चाय कंपनियां जैसे यूनीलीवर, विलियमसन टी, फिनले और लिप्टन के इस जमीन पर चाय बागान हैं और यहां से यह कंपनियां मोटा मुनाफा कमाती हैं." 

आदिवासियों ने ब्रिटिश सेना पर गैरकानूनी हत्याएं, रेप, प्रताड़ना और कैद में डालने के आरोप भी लगाए हैं. लेकिन यह इस मुकदमें के केंद्र में नहीं होगा.  बीबीसी के अनुसार,  यह पहली बार नहीं है जब केन्या के आदिवासियों ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया है. इससे पहले 2019 में यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठा था, जिसके बाद जांच की गई. 2021 में छ संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधियों ने "कथित जिम्मेदारी की कमी" को लेकर चिंता जताई थी.  
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com