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फाउंडर तो कोई और था...निवेशक बनकर पूरी कंपनी कर ली 'हाइजैक'... जानें मस्‍क और टेस्‍ला की असली कहानी 

टेस्‍ला, भारतीय बाजार में तैयार होने को तैयार है और 15 जुलाई को मुंबई के बीकेसी में टेस्‍ला का पहला शोरूम खुलने जा रहा है.

फाउंडर तो कोई और था...निवेशक बनकर पूरी कंपनी कर ली 'हाइजैक'... जानें मस्‍क और टेस्‍ला की असली कहानी 
  • टेस्ला कंपनी की स्थापना दो इंजीनियर्स मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने 1 जुलाई 2003 को पर्यावरण के अनुकूल इलेक्ट्रिक कार बनाने के उद्देश्य से की थी.
  • एलन मस्क ने 2004 में टेस्ला में निवेश किया और बाद में कंपनी के चेयरमैन, CEO तथा को-फाउंडर बनकर इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
  • टेस्ला ने 2008 में अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार रोडस्टर लॉन्च की, जो तेज, स्टाइलिश और 320 किलोमीटर की रेंज वाली थी.
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नई दिल्‍ली:

आपने हिंदी फिल्‍मों में वह प्‍लॉट तो खूब एंजॉय किया होगा जिसमें कोई बाहर से आता है और फिर पूरी कंपनी पर कब्‍जा करके खुद मालिक बन बैठता है. कुछ ऐसी ही कहानी है टेस्‍ला और एलन मस्‍क की. टेस्‍ला, यह सिर्फ एक शब्‍द नहीं बल्कि एक ऐसा सपना है जिसके पूरा होने की ख्‍वाहिश हर भारतीय देखता है. टेस्‍ला, भारतीय बाजार में तैयार होने को तैयार है और इसके साथ ही कई भारतीयों का इसे खरीदने का सपना पूरा हो जाएगा. 15 जुलाई को मुंबई के बीकेसी में टेस्‍ला का पहला शोरूम खुलने जा रहा है और इसके साथ ही यह ब्रांड भारत में अपनी शुरुआत कर लेगा. भारत में टेस्‍ला का पहला ग्राहक कौन होगा, यह भी देखने वाली बात होगी. टेस्‍ला का नाम जुबां पर आते ही एलन मस्‍क की तस्‍वीर खुद-ब-खुद सामने आ जाती है. एलन को अगर इस ब्रांड का पर्यायवाची कहा जाए तो गलत नहीं होगा. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कंपनी की शुरुआत एलन ने नहीं की थी बल्कि वह तो इसमें इनवेस्‍टर बनकर दाखिल हुए थे.  

दो इंजीनियर्स ने की थी शुरुआत 

दुनिया में जब भी इलेक्ट्रिक व्‍हीकल (ईवी) की बात होगी तो टेस्‍ला का नाम सबसे ऊपर होगा. लेकिन इस कंपनी की शुरुआत एलन मस्क ने नहीं बल्कि किसी और ने की थी. टेस्‍ला का सपना जिस समय देखा गया था उस समय इलेक्ट्रिक कारें कल्‍पनाओं में थीं. मगर आज टेस्‍ला न सिर्फ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति लेकर आई है बल्कि उसने एनर्जी सेक्‍टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और यहां तक कि स्पेस टेक्नोलॉजी तक में अपना झंडा लहरा दिया है. टेस्ला को आज एक ऐसी कंपनी के तौर पर जानते हैं जो दुनिया में सबसे इनोवेटिव है. 

टेस्‍ला की शुरुआत होती है 1 जुलाई 2003 से जब दो इंजीनियर्स मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने मिलकर टेस्ला मोटर्स की नींव रखी. दोनों इस मकसद से कंपनी को शुरू करना चाहते थे जिसके तहत एक ऐसी इलेक्ट्रिक कार बनाई जो पर्यावरण को पेट्रोल और डीजल कारों की तरह नुकसान न पहुंचाए. दोनों क्‍योंकि इंजीनियर्स थे तो टेक्‍नोलॉजी के लिए उनका क्रेज भी लाजिमी था. जिस समय दोनों ने ईवी का सपना देखा, तो उसे बहुत ही अव्‍यावहारिक समझा गया था. मगर दोनों अपने आइडिया पर अड़े हुए थे. दोनों ने कंपनी की शुरुआत की और इसका नाम महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला के सम्मान में रखा. निकोला टेस्‍ला ने AC के करंट की खोज की थी. शुरुआत में दोनों ने टेस्‍ला का विजन, प्रदूषण मुक्त, तेज और स्टाइलिश ईवी रखा था.

2004 में हुई मस्‍क की एंट्री 

यह कहानी यहां तक सही जा रही थी और तब 2004 में हुई एलन मस्‍क की एंट्री. मस्‍क उस समय पहले ही स्‍पेसएक्‍स और पेपाल जैसी कंपनियों के फाउंडर के तौर पर मशहूर हो चुके थे. मस्‍क ने सीरीज A फंडिंग राउंड में 6.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया और वह कंपनी के चेयरमैन बन गए. धीरे-धीरे मस्क ने टेस्ला के प्रोडक्ट डिजाइन, विजन और मार्केटिंग की जिम्‍मेदारी अपने हाथों में ली. साल 2008 में जब टेस्ला लगभग दिवालिया हो चुकी थी तो मस्‍क इसके मसीहा बने और CEO का 'अवतार' लेकर उन्‍होंने कंपनी में एक नई जान फूंक दी. मस्क जो शुरुआत में सिर्फ एक इनवेस्‍टर थे, फिर सीईओ बने और फिर को-फाउंडर भी बन गए. मस्‍क ने को-फाउंडर का दर्जा भी हासिल कर लिया. एबरहार्ड ने मस्क पर मानहानि का आरोप लगाते हुए केस फाइल किया था और साल 2009 में फैसला मस्‍क के हक में गया. 

टेस्‍ला की पहली कार रोडस्‍टर 

साल 2008 में टेस्ला ने अपनी पहली कार – रोडस्‍टर लॉन्‍च की थी. यह एक हाई-परफॉर्मेंस स्पोर्ट्स कार थी, जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक थी. यह कार 0 से 100 किमी/घंटा के रफ्तार सिर्फ 3.9 सेकंड में ही हासिल कर लेती थी. सिंगल चार्ज में 320 किलोमीटर तक चलने की क्षमता. रोडस्टर ने यह साबित कर दिया कि इलेक्ट्रिक कारें भी सेक्सी, तेज और पावरफुल हो सकती हैं. मस्क ने अपनी रोडस्‍टर को 2018 में स्पेसएक्स के रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा था. आज भी वह कार पृथ्वी की कक्षा में घूम रही है. 

मस्क ने टेस्ला के लिए फिर एक स्‍ट्रैटेजी तैयार की जिसे S3XY नाम दिया गया. इस स्‍ट्रैटेजी में 

Model S जो 2012 में लॉन्‍च हुआ, लग्‍जरी सेडान कार थी जिसने एलीट क्‍लास के बीच अपनी पकड़ मजबूत की. 
Model X जो 2015 में लॉन्‍च हुआ और यह एक फैमिली SUV कार थी जिसमें फाल्कन विंग डोर्स और हाईटेक इंटीरियर था. 
Model 3 जो 2017 में लॉन्‍च हुआ और इसे कंपनी ने पहली 'सस्ती' कहा और इस कार के साथ ही मीडिल क्‍लास ने टेस्‍ला के सपने देखने शुरू किए. 
Model Y जो 2020 में आया एक कॉम्पैक्ट SUV कार थी जो काफी तेजी से पॉपुलर हुई. 

रोबोटिक्‍स ओर एआई वाली टेस्‍ला  

कुछ विशेषज्ञों की मानें तो टेस्ला को सिर्फ एक कार निर्माता कंपनी समझना गलती होगी. यह दरअसल एक AI और सॉफ्टवेयर-ड्रिवन कार कंपनी है. ऑटो-पायलट मोड से लैस टेस्ला की कारें धीरे-धीरे अब सेल्फ ड्राइविंग (FSD) की तरफ बढ़ रही हैं. टेस्‍ला की कार में वर्कशॉप जाए बिना घर पर बैठे ही कार का सॉफ्टवेयर अपडेट हो जाता है. सिर्फ यही नहीं टेस्ला अब रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी कदम रख चुकी है. 

रॉकेट थ्रस्‍ट वाली कार  

साल 2016 में टेस्ला ने सोलर सिटी को खरीदा और क्लीन एनर्जी प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया. कारों में सोलर रूफ जिसमें छत के तौर पर सोलर पैनल है. इसके अलावा पावरऑल और पावरपैक बैटरी स्टोरेज सिस्टम हैं जो सौर ऊर्जा को स्टोर कर सकते हैं. टेस्ला ने खुद को सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रखा है. साल 2020 में शंघाई गीगाफैक्टरी को लॉन्‍च किया और चीन में बनी यह फैक्ट्री टेस्ला की पहली विदेशी यूनिट है. अब गिगा बर्लिन और गिगा टेक्सास के साथ यूरोप और अमेरिका में बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन की तैयारी. आपको बता दें कि शंघाई में स्थित टेस्ला की गीगाफैक्टरी इतनी बड़ी है कि उसमें 100 फुटबॉल स्टेडियम फिट हो सकते हैं. मस्‍क ने टेस्‍ला को लेकर कई सपने देखें हैं जिसमें अगली रोडस्टर शामिल है जो 0 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार सिर्फ 1.9 सेकंड में हासिल कर सकेगी. इस कार में रॉकेट थ्रस्ट होने की बातें कही जा रही हैं. 

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