जनरल राहील शरीफ का पाक सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल समाप्त हो रहा है
इस्लामाबाद:
सुनने में अजीब लग सकता है कि पाकिस्तान जैसे देश में जहां प्रजातंत्र को बार बार अंगूठा दिखाते हुए चुनी गई सरकार को सेना कभी भी बाहर का रास्ता दिखा देती है, वहां किसी सेना प्रमुख की विदाई पर जनता भावुक हो जाए. लेकिन मामला कुछ ऐसा ही है, पाकिस्तान के जाते हुए सेना प्रमुख राहील शरीफ देश में कितने लोकप्रिय हैं उसकी एक बानगी सोशल मीडिया पर देखने को मिल रही है. ट्विटर पर #ThankYouRaheelSharif के साथ शरीफ को विदाई दी जा रही है. पाकिस्तान के अभी तक के सेना प्रमुखों की तुलना में राहील को प्रजातंत्र में यकीन रखने वाले एक अफसर के रूप में देखा जाता रहा है.
पाकिस्तान में #ThankYouRaheelSharif ट्रेंड करने लगा जिसके साथ राहील के लिए ट्वीट किया जा रहा है. एक ट्वीट में लिखा गया - राहील, आपने हमें उम्मीद दिखाई, हमें हिम्मत दी और आप एक सच्चे शेर की तरह लड़े.
जनरल शरीफ के पाकिस्तानी जनता के बीच काफी लोकप्रिय होने की वजह अपराध और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कड़े कदम हैं, साथ ही वह अस्थिर आदिवासी इलाकों में इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी करते देखे गए. यही नहीं, शरीफ ने तब सबको हैरानी में डाल दिया जब उन्होंने अभी तक के ज्यादातर सेना प्रमुखों से अलग हटकर अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने की मांग नहीं की.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ का इससे पहले 1999 में सेना ने तख्ता पलट कर दिया था. पाकिस्तान के पिछले दो सेना प्रमुख जिसमें परवेज़ मुशर्रफ भी शामिल हैं, इस तख्तापलट में शामिल थे और दोनों के ही कार्यकाल को बढ़ाया गया था. वहीं जनरल शरीफ ने अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने की इच्छा का तनिक भी संकेत नहीं दिया, लेकिन दूसरी तरफ उनके कार्यकाल को बढ़ाने के लिए लाहौर हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता और तहरीक-ए-इंकलाब के अधिवक्ता गाजी इलामुद्दीन ने कहा था कि पूरा मुल्क चाहता है कि राहील सेना प्रमुख के रूप में बने रहें. उन्होंने कहा था ‘राहील के नेतृत्व में पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कई कार्यों को पूरा किया है. इसलिए नवाज शरीफ सरकार को व्यापक राष्ट्र हित में जनरल राहील शरीफ का कार्यकाल बढ़ाने का निर्देश दिया जाए.’
इसके अलावा जनरल शरीफ को रिटायरमेंट के बाद राष्ट्रपति उम्मीदवार या फील्ड मार्शल बनाए जाने की मांग भी उठती रही हैं. इन मांगों से फिलहाल तो कुछ खास निकलकर नहीं आ पाया है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल कमर जावेद बाजवा को देश का नया सेना प्रमुख नियुक्त किया.
जानकार मानते हैं कि राहील ने बतौर सेना प्रमुख, अपनी टीम और जवानों के गिरते मनोबल को बढ़ाया है, वहीं दूसरी तरफ सेना प्रमुख के प्रति इतने लगाव को आलोचक सही नहीं मान रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि कहीं न कहीं अभी भी पाकिस्तान प्रजातंत्र की गंभीरता को समझ नहीं पा रहा है. पाकिस्तान संसद के अध्यक्ष रज़ा रब्बानी ने हाल ही में दिए एक बयान में माना है कि नागरिक और सेना के बीच के संबंध अभी भी प्रजातंत्र के लिए 'सबसे बड़ी चुनौती' हैं और सेना के धनाढ्य हितों की बात करने वाले कभी भी 'नागरिक श्रेष्ठता' को स्वीकार नहीं करेंगे. पाकिस्तान संसद पर अक्सर भ्रष्टचार का आरोप लगने के सवाल पर रज़ा ने कहा कि 'मैं उनमें से हूं जो मानता है कि प्रजांतत्र कितने भी बिगड़े हुए रूप में क्यों न हो, लेकिन वह तानाशाही से तो बेहतर ही है.'
लेकिन पाकिस्तानी अवाम का अपने निवर्तमान सेना प्रमुख के फैसलों पर इतना भरोसा और समर्थन किसी और ही बात की तरफ इशारा करता है. यह दिलचस्प भी है और इसे विडंबना ही कह सकते हैं कि पाकिस्तानी जनता को अपने 'प्रजातंत्र का रखवाला' एक 'सेना प्रमुख' के रूप में मिला.
पाकिस्तान में #ThankYouRaheelSharif ट्रेंड करने लगा जिसके साथ राहील के लिए ट्वीट किया जा रहा है. एक ट्वीट में लिखा गया - राहील, आपने हमें उम्मीद दिखाई, हमें हिम्मत दी और आप एक सच्चे शेर की तरह लड़े.
You gave us hope, you gave us strength and you acted like a real Lion. Thank you Sir. You will be missed. #ThankYouRaheelSharif #WeNeedYou pic.twitter.com/o96Q9W0ofC
— Ayaz Samoo (@ayazsamoo) November 24, 2016
Sir, #ArmyChief you will be remembers always. #ThankYouRaheelSharif for everything you have done for the nation in crucial times.
— Rabiya Ansari (@iRabiyaAnsari) November 21, 2016
जनरल शरीफ के पाकिस्तानी जनता के बीच काफी लोकप्रिय होने की वजह अपराध और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कड़े कदम हैं, साथ ही वह अस्थिर आदिवासी इलाकों में इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी करते देखे गए. यही नहीं, शरीफ ने तब सबको हैरानी में डाल दिया जब उन्होंने अभी तक के ज्यादातर सेना प्रमुखों से अलग हटकर अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने की मांग नहीं की.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ का इससे पहले 1999 में सेना ने तख्ता पलट कर दिया था. पाकिस्तान के पिछले दो सेना प्रमुख जिसमें परवेज़ मुशर्रफ भी शामिल हैं, इस तख्तापलट में शामिल थे और दोनों के ही कार्यकाल को बढ़ाया गया था. वहीं जनरल शरीफ ने अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने की इच्छा का तनिक भी संकेत नहीं दिया, लेकिन दूसरी तरफ उनके कार्यकाल को बढ़ाने के लिए लाहौर हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता और तहरीक-ए-इंकलाब के अधिवक्ता गाजी इलामुद्दीन ने कहा था कि पूरा मुल्क चाहता है कि राहील सेना प्रमुख के रूप में बने रहें. उन्होंने कहा था ‘राहील के नेतृत्व में पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कई कार्यों को पूरा किया है. इसलिए नवाज शरीफ सरकार को व्यापक राष्ट्र हित में जनरल राहील शरीफ का कार्यकाल बढ़ाने का निर्देश दिया जाए.’
इसके अलावा जनरल शरीफ को रिटायरमेंट के बाद राष्ट्रपति उम्मीदवार या फील्ड मार्शल बनाए जाने की मांग भी उठती रही हैं. इन मांगों से फिलहाल तो कुछ खास निकलकर नहीं आ पाया है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल कमर जावेद बाजवा को देश का नया सेना प्रमुख नियुक्त किया.
जानकार मानते हैं कि राहील ने बतौर सेना प्रमुख, अपनी टीम और जवानों के गिरते मनोबल को बढ़ाया है, वहीं दूसरी तरफ सेना प्रमुख के प्रति इतने लगाव को आलोचक सही नहीं मान रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि कहीं न कहीं अभी भी पाकिस्तान प्रजातंत्र की गंभीरता को समझ नहीं पा रहा है. पाकिस्तान संसद के अध्यक्ष रज़ा रब्बानी ने हाल ही में दिए एक बयान में माना है कि नागरिक और सेना के बीच के संबंध अभी भी प्रजातंत्र के लिए 'सबसे बड़ी चुनौती' हैं और सेना के धनाढ्य हितों की बात करने वाले कभी भी 'नागरिक श्रेष्ठता' को स्वीकार नहीं करेंगे. पाकिस्तान संसद पर अक्सर भ्रष्टचार का आरोप लगने के सवाल पर रज़ा ने कहा कि 'मैं उनमें से हूं जो मानता है कि प्रजांतत्र कितने भी बिगड़े हुए रूप में क्यों न हो, लेकिन वह तानाशाही से तो बेहतर ही है.'
लेकिन पाकिस्तानी अवाम का अपने निवर्तमान सेना प्रमुख के फैसलों पर इतना भरोसा और समर्थन किसी और ही बात की तरफ इशारा करता है. यह दिलचस्प भी है और इसे विडंबना ही कह सकते हैं कि पाकिस्तानी जनता को अपने 'प्रजातंत्र का रखवाला' एक 'सेना प्रमुख' के रूप में मिला.
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