- पाकिस्तान में इस वर्ष बारिश और बाढ़ के कारण 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे व्यापक तबाही हुई है.
- खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बाढ़ से सबसे अधिक नुकसान हुआ है और हजारों लोग लापता तथा प्रभावित हुए हैं.
- जलवायु परिवर्तन के कारण पाकिस्तान के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो गए हैं.
पाकिस्तान में इस साल बारिश और बाढ़ के कारण अब तक 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. हर साल बाढ़ वहां भारी तबाही मचाती है. आइए, जानते हैं कि आखिर क्यों अचानक आती है बाढ़ और कैसे मचाती है इतनी तबाही. एक ओर जहां पाकिस्तान पानी के लिए संघर्ष की बात करता है, वहीं दूसरी ओर बाढ़ के सैलाब में आंसू बहा रहा है. बारिश और बाढ़ का कहर ऐसा है कि कई शहर जलमग्न हो गए हैं.

पाकिस्तान, जो कुछ समय पहले पानी की कमी को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहा था, अब बारिश और बाढ़ की वजह से आए सैलाब से जूझ रहा है. पड़ोसी मुल्क में बाढ़ का प्रकोप इतना भयावह है कि कई शहर पानी में डूब गए हैं. सैकड़ों लोग मारे गए हैं, लाखों बेघर हो गए हैं और चारों ओर तबाही के निशान दिखाई दे रहे हैं.
Pakistan Flood : खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बाढ़-बारिश का कहर
सबसे अधिक मार खैबर पख्तूनख्वा प्रांत पर पड़ी है. आशंका है कि यहां अचानक आई बाढ़ में करीब 1,000 लोगों की जान चली गई है, जबकि सैकड़ों लोग अभी भी लापता हैं. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने भी पाकिस्तान में मची इस तबाही पर चिंता जताई है. 1947 में आजादी के बाद से अब तक पाकिस्तान में 29 बार ऐसी विनाशकारी बाढ़ आ चुकी है, जिसने कई शहरों को तबाह किया. खासकर 2010 के बाद से बाढ़ हर साल की कहानी बन गई है. मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण पाकिस्तान के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो गए हैं.

आखिर क्यों अचानक आती है बाढ़
पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में 7,000 से अधिक ग्लेशियर हैं. बढ़ते तापमान के कारण ये ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. पिघलते ग्लेशियर्स से बनी झीलें अपने किनारों को तोड़ देती हैं, और रास्ते में आने वाली हर चीज को सैलाब में बहा ले जाती हैं.
इसके अलावा, ग्लेशियर वाले इलाकों में जंगलों की अंधाधुंध कटाई ने समस्या को और गंभीर कर दिया है. पेड़ों की कमी के कारण ग्लेशियर से निकलने वाला पानी और तेज बारिश विनाशकारी बाढ़ का रूप ले लेती है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में बारिश और ग्लेशियर पिघलने की तीव्रता और बढ़ सकती है, जिससे बाढ़ का खतरा और गहरा सकता है.
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