थाईलैंड की अस्थाई सरकार ने शनिवार को कहा कि अगर उसके राजनीतिक विरोधी अपना विरोध प्रदर्शन खत्म करने को तैयार हैं, तो वह दो फरवरी को होने वाले चुनाव को टाल सकती हैं। हालांकि, विपक्ष के शीर्ष नेता ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि सुधार के लिए दबाव बनाने की खातिर प्रदर्शन जारी रहेंगे।
प्रधानमंत्री यिंगलक सिनवात्रा की कार्यवाहक सरकार के एक अधिकारी वरथेप रत्नकोर्न ने कहा, 'चुनाव इस शर्त पर स्थगित किए जा सकते हैं कि प्रदर्शनकारी अपनी रैलियां बंद करेंगे और चुनाव में कोई अवरोध उत्पन्न नहीं किया जाएगा तथा उसका बहिष्कार नहीं होगा।' उन्होंने कहा, 'अगर फिर भी चुनाव को अवरुद्ध करने की कोशिश की जाएगी, तो उन्हें टालने का कोई फायदा नहीं है।'
अधिकारी ने कहा कि सिनवात्रा को संवैधानिक अदालत के शुक्रवार के फैसले से अवगत करा दिया गया है। अदालत ने सर्वसम्मति से फैसला दिया था कि चुनाव को टाला जा सकता है।
वहीं, प्रधानमंत्री सिनवात्रा ने कहा कि फैसले के पीछे कोई मजबूत कानूनी आधार नजर नहीं आ रहा है। वह मंगलवार को चुनाव आयुक्त से मिलेंगी।
दूसरी ओर प्रदर्शनकारियों ने सरकार की ओर से चुनाव स्थगित करने के लिए रखी गई शर्तों को खारिज किया है। प्रदर्शनकारियों के नेता सुथेप थाउंसुबन ने कहा, 'इसमें समझौते की बात ही नहीं है।' उन्होंने कहा, 'लोग अपने घर वापस नहीं लौटेंगे, क्योंकि जनता राजनीतिक और राष्ट्रीय सुधार चाहती है।'
पिछले साल नवंबर से शुरू हुए इस प्रदर्शन में शामिल लोगों की मांग है कि सिनवात्रा प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दें और गैर निर्वाचित 'पीपुल्स काउंसिल' को चुनाव से पहले सुधार करने का अधिकार दिया जाए।
सरकार-विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिफॉर्म कमेटी (पीडीआरसी) के नेता सुथेप ने पहले कहा था कि अगर चुनाव जल्दी होते हैं तो प्रदर्शनकारी उसे 'रोकेंगे' नहीं, बल्कि सिर्फ उसका 'विरोध' करेंगे।
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